हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की श्रेष्ठता -कुछ हदीसें
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की श्रेष्ठता साबित करने वाली हदीसें हम अपने इस लेख में केवल उन हदीसों को बयान कर रहे हैं जो अहले सुन्नत की किताबो...
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की श्रेष्ठता साबित करने वाली हदीसें हम अपने इस लेख में केवल उन हदीसों को बयान कर रहे हैं जो अहले सुन्नत की किताबो...
इमाम सादिक (अ. स.) अपने एक सहाबी से फरमाते हैं कि "जब तुम देखो कि ज़ुल्म व सितम आम हो रहा है, कुरआन को एक तरफ़ रख दिया गया है, ह...
लोग कहते हैं की कुरान किसी गैर मुसलमान के हाथ में नहीं जानी चाहिए लेकिन मैंने सुना है कि हमारे आखिरी रसुल मुह्म्मद सल्लाहॊं अलैह वस्ल्ल...
हज़रत ख़दीजा अ. के बाप ख़ुवैलद और मां फ़ातिमा बिंते ज़ाएदा बिंते असम हैं। जिस परिवार में आपका पालन पोषण हुआ वह परिवार अरब के सारे क़बील...
सवाल- आयते ततहीर किस सूरे में है जवाब – सूर -ए- अहज़ाब आयत न. 33 सवाल- आयते विलायत किस सूरे में है ? जवाब- सूर -ए- मायदा आयत...
और हम ईश्वर पर भरोसा क्यों न करें जबकि उसी ने (कल्याण के) मार्गों की ओर हमारा मार्गदर्शन किया है और तुम्हारी ओर से दी जाने वाली यातनाओं पर ...
HUM 2 MAHINA 8 DIN GHUM MANANEY K BAAD JAB 9 RABILAWWAL AATA HAI JISKO HUM APNI ZUBAN ME EID-E-ZEHRA , EID-E-SHUJA KAHTE HAIN . ¨ ...
कर्बला का पैग़ाम और कर्बला से मिली सीख 1 . अमर बिल मारूफ और नही अनिल-मुनकर का महत्त्व कर्बला का वाक़या हमें सिखाता है की सीधे र...
और ईश्वर की उपासना करो और किसी को उसका शरीक न ठहराओ और माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो और इसी प्रकार निकट परिजनों, अनाथों, मुहताजों...
इंसान अकेले नहीं रह सकता उसे हर उम्र में एक साथी की आवश्यकता होती है | कोई भी इंसान जब वयस्क हो जाता है या बालिग़ हो जाता है तो उसे अकेले ...
इस्लाम एक सामाजिक धर्म है और कुरान में अल्लाह ने सामाजिक रिश्तों को बनाने पे बहुत जोर दिया और यहाँ तक की रिश्तेदारों के,पड़ोसियों के,काबि...
मेहर वो रक़म है जो किसी लड़की का होने वाला शौहर लड़की तो तोहफे के तौर पे दिया करता है लेकिन यह रक़म लड़की तय किया करती है | इस मेहर को न तो ...
हममें से हर व्यक्ति नाना प्रकार की समस्याओं में गस्त है। दूसरे शब्दों में हममें से कोई भी एसा नहीं है जो किसी न किसी समस्या में गिरफ्ता...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...