मरहूम मौलाना हसन अब्बास खान ग़रीबों का मददगार थे |
आज के दौर की सबसे बड़ी मुश्किल यह है की गुनाहं के आम हो जाने और लोगों के गुनाहों पे राज़ी हो जाने वाले समाज को देख के लोगों के ज़हन में यह...

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आज के दौर की सबसे बड़ी मुश्किल यह है की गुनाहं के आम हो जाने और लोगों के गुनाहों पे राज़ी हो जाने वाले समाज को देख के लोगों के ज़हन में यह...
मौलाना एहसान जवादी मरहूम आज के दौर के उलेमा की ज़िन्दगी को क़रीब से देखने से यह मालूम होता है की अहलेबैत के बताय तौर तरीके आज भी ज़िंदा ...
मौलाना सैय्यद अली क़ासिम रिज़वी मरहूम आज यह ज़रूरी हो गया है की हम अपने दौर के उन उलेमा को क़रीब से जानें जिनका किरदार हर दौर में लोगों को...
शिया ,सुन्नी एकता समय की एहम ज़रूरत:मौलाना कल्बे जवाद मार्फतए इमामए ज़माना अ0स0 मुसलमानों के मतभेद के अंत का एकमात्र समाधान है मजलिसए ओलम...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...
Majalis Collection of Zakir e Ahlebayt Syed Mohammad Masoom
A small step to promote Jaunpur Azadari e Hussain (as) Worldwide.
भारत में शिया मुस्लिम का इतिहास -एस एम्.मासूम |
हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की वफात (६३२ ) के बाद मुसलमानों में खिलाफत या इमामत या लीडर कौन इस बात पे मतभेद हुआ और कुछ मुसलमानों ने तुरंत हजरत अबुबक्र (632-634 AD) को खलीफा बना के एलान कर दिया | इधर हजरत अली (अ.स०) जो हजरत मुहम्मद (स.व) को दफन करने
जौनपुर का इतिहास जानना ही तो हमारा जौनपुर डॉट कॉम पे अवश्य जाएँ | भानुचन्द्र गोस्वामी डी एम् जौनपुर
आज 23 अक्टुबर दिन रविवार को दिन में 11 बजे शिराज ए हिन्द डॉट कॉम द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पत्रकार भवन में "आज के परिवेश में सोशल मीडिया" विषय पर एक गोष्ठी आयोजित किया गया जिसका मुख्या वक्ता मुझे बनाया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी