उलेमा की मदद का सच्चा जज़्बा मैंने देखा था मरहूम अल्लामा एहसान जवादी में |
मौलाना एहसान जवादी मरहूम आज के दौर के उलेमा की ज़िन्दगी को क़रीब से देखने से यह मालूम होता है की अहलेबैत के बताय तौर तरीके आज भी ज़िंदा ...
मरहूम मौलाना हसन अब्बास खान को रात में दिल का दौरा पड़ा और इमरजेंसी में अपने किसी साथी की पहचान से मलाड मुंबई के नर्सिंग होम में एडमिट हुए और बाईपास सर्जरी के दौरान उनका इंतेक़ाल हो गया | यक़ीनन यह एक बड़ा क़ौम का नुकसान था |
नर्सिंग होम का बिल आया ढाई लाख जो मौलाना के घर वालों के लिए अदा करना मुमकिन न था और उसके बग़ैर उनकी मय्यत हॉस्पिटल वाले नहीं दे रहे थे | बहरहाल लोगों ने जान पहचान से उनका बिल कुछ कम करवाया लेकिन एक ईमानदार मौलाना के घर वाले वो भी कहाँ से लाते | उलेमा बहुत से हॉस्पिटल के बाहर जमा थे कई जगहों से कोशिश की गयी लेकिन वो रक़म उतनी न हो सकी की हॉस्पिटल का बिल अदा हो जाय |
ऐसे में मैंने देखा की मौलाना एहसान जवादी ने उस दौर में 40000 रूपए दिए और कहा अगर कम पड़े तो बताना | यक़ीन मौलाना एहसान जवादी के लिए भी यह रक़म उस दौर में देना आसान न था | क़ौम का ऐसा मदद का जज़्बा रखने वाले एहसान जवादी अब हमारे बीच यहीं हैं लेकिन उनकी नेकियाँ आज भी ज़िंदा है |
अल्लाह मरहूम को जन्नत नसीब करे |
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