नमाज़ की अहमियत और क़ुरआन
https://www.qummi.com/2013/10/blog-post_22.html
नमाज़ का बाक़ी रहना क़ुरआन का बाक़ी रहना है। क्योंकि हर नमाज़ी मजबूर है कि हर रोज़ अपनी सत्रह रकत नमाज़ों मे दस मर्तबा सूरए हम्द पढ़े और...
नमाज़ का बाक़ी रहना क़ुरआन का बाक़ी रहना है। क्योंकि हर नमाज़ी मजबूर है कि हर रोज़ अपनी सत्रह रकत नमाज़ों मे दस मर्तबा सूरए हम्द पढ़े और...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...