माह ऐ रमज़ान एक महीने का प्रशिक्षण है जिस का मक़सद एक अच्छा इंसान बनाना है |

माह ऐ रमज़ान एक महीने का प्रशिक्षण  है जिस का मक़सद एक अच्छा इंसान बनाना है |  .. माह ऐ रमज़ान इस्लामिक केलिन्डर का ९वां और सबसे पवित्र मही...

सेक्स करने के तरीके के असरात बच्चे के किरदार पे होते हैं |

इस्लाम  में शादी (निकाह) का तात्पर्य सेक्सी इच्छा की पूर्ति के साथ-साथ सदैव नेक व सहीह व पूर्ण संतान का द्रष्टिगत रखना भी है। इसी ल...

तक़वा

एक जाना पहचाना और बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला लफ़्ज़ (शब्द) है। कुर्आन में यह लफ़्ज़ noun और verb दोनों सूरतों में पचासों जगह पर आय...

माह ऐ मुहर्रम में अज़ादारी बिना नीयत की पाकीज़गी के नहीं हो सकती|

 इस्लाम की निगाह में वह अमल सही है जो अल्लाह उसके रसूल स.अ. और इमामों के हुक्म के मुताबिक़ हों क्योंकि यही सेराते मुस्तक़ीम है, और जि...

एक मुनाज़ेरा इमाम तक़ी अ.स. का |

इमाम रज़ा अ.स. को शहीद करने के बाद मामून चाहता था कि किसी तरह से इमाम तक़ी अ.स. पर भी नज़र रखे और इस काम के लिये उसने अपनी बेटी उम्मे फ़...

विवाह मं लड़की की स्वीकृति इस्लाम की नज़र मं

विवाह मं लड़की की स्वीकृति इस्लाम की नज़र मं हज़रत अली अलैहिस्सलाम फ़र्माते हैं- मैं पैग़म्बर के पास गया और चुप-चाप उनके सम्मुख बैठ गया।पै...

इस्लाम में सेक्स की हकीकत भाग -१

इस्लाम वह बड़ा और अच्छा धर्म है जिसने ज़िन्दगी के सभी हिस्सों से सम्बन्घित हर बात को विस्तार से बयान किया है ताकि एक सच्चे मुसलमान को...

अली है नाम लक़ब जिसका सीस्तानी है

अली है नाम लक़ब जिसका सीस्तानी है  अली का शहर नजफ़ उसे राजधानी है  फकीह है और इमामे  जुमा का नासिर भी  वही जो इब्ने मज़ाहिर ...

इमाम ऐ ज़माना (अ.स) के ज़हूर ना होने की एक वजह ये भी है |

इमाम ऐ  ज़माना  (अ.स) के  ज़हूर  की  दुआ  बिना  तैयारी  के कोई मायने नहीं  रखती  और तैयारी  ऐसी  हो  की  हमारा  मकसद  समाज  में ...

रमज़ान महीने की आज २१ तारीख़ है। सन ४० हिजरी क़मरी में ६३ वर्ष की आयु में हज़रत अली अलैहिस्सलाम शहीद हुए।

रमज़ान महीने की आज २१ तारीख़ है। सन ४० हिजरी क़मरी में ६३ वर्ष की आयु में हज़रत अली अलैहिस्सलाम शहीद हुए। सन चालिस हिजरी क़मरी ...

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नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

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