इमाम हुसैन का वो पहला सफर जो कर्बला पे जा के ख़त्म हुआ | मदीने से मक्का 28 रजब
ये बात २० रजब सन ६० हिजरी की है जब मुआव्विया की मृत्यु हो गयी और यज़ीद ने खुद को मुसलमानो का खलीफा घोषित कर दिया । इमाम हुसैन (...

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ये बात २० रजब सन ६० हिजरी की है जब मुआव्विया की मृत्यु हो गयी और यज़ीद ने खुद को मुसलमानो का खलीफा घोषित कर दिया । इमाम हुसैन (...
सन 60 हिजरी में मुआविया की मौत के बाद उसका बेटा यज़ीद जिसे ख़ुद मुआविया ने अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था और लोगों से उसकी बैअत ...
इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम आंदोलन के शुरू में मदीने से मक्के क्यों गए? मदीने से इमाम-ए-हुसैन अलैहिस्सलाम के निकलने का कारण यह था कि यज...
कर्बला के बहत्तर शहीद और उनकी संक्षिप्त जीवनी शोहदा ए बनी हाशिम 1. हज़रत अब्दुल्लाह – जनाबे मुस्लिम के बेटे और जनाबे अबू...
इतिहास रचने वाली कर्बला की महिलाएं बहुत से महापुरुष और वे लोग जिन्होंने इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उनकी सफलता के पीछे द...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...
Majalis Collection of Zakir e Ahlebayt Syed Mohammad Masoom
A small step to promote Jaunpur Azadari e Hussain (as) Worldwide.
भारत में शिया मुस्लिम का इतिहास -एस एम्.मासूम |
हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की वफात (६३२ ) के बाद मुसलमानों में खिलाफत या इमामत या लीडर कौन इस बात पे मतभेद हुआ और कुछ मुसलमानों ने तुरंत हजरत अबुबक्र (632-634 AD) को खलीफा बना के एलान कर दिया | इधर हजरत अली (अ.स०) जो हजरत मुहम्मद (स.व) को दफन करने
जौनपुर का इतिहास जानना ही तो हमारा जौनपुर डॉट कॉम पे अवश्य जाएँ | भानुचन्द्र गोस्वामी डी एम् जौनपुर
आज 23 अक्टुबर दिन रविवार को दिन में 11 बजे शिराज ए हिन्द डॉट कॉम द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पत्रकार भवन में "आज के परिवेश में सोशल मीडिया" विषय पर एक गोष्ठी आयोजित किया गया जिसका मुख्या वक्ता मुझे बनाया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी