वयस्क का अकेले रहना इस्लाम की नज़र में उचित नहीं |
इंसान अकेले नहीं रह सकता उसे हर उम्र में एक साथी की आवश्यकता होती है | कोई भी इंसान जब वयस्क हो जाता है या बालिग़ हो जाता है तो उसे अकेले ...
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इंसान अकेले नहीं रह सकता उसे हर उम्र में एक साथी की आवश्यकता होती है | कोई भी इंसान जब वयस्क हो जाता है या बालिग़ हो जाता है तो उसे अकेले जीवन गुज़ारने का हुक्म नहीं है | इस उम्र में शादी करने का हुक्म इतना सख्त है की अगर शादी में देर की जाए और औलादकिसी तरह के अनैतिक संबंधों की तरफ चला जाए तो उसके इन सभी गुनाहों की सजा उसमे माता पिता को मिलेगी अगर वो जीवित हैं तो |
आज के सामाजिक परिवेश में देखने से पता चलता है की आज का नौजवान बालिग़ होने के १० से १५ साल बाद ही शादी कर पाता है और इसी कारणवश शादी के पहले शारीरिक संबंथ बना लेने की दर आज बढती जा रही है | यकीनन शादी के पहले अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध पाप हैं और इस से बचने के उपाय तलाशने की आज आवश्यकता है |
हमारा ये सोंचना सही नहीं की शादी पढ़ाई में बाधा पैदा कर सकती है या नौकरी से नहीं है लड़का तो कैसे शादी करें ? रिजक अल्लाह देता है और आपने वाली अपने साथ अपना रिजक लाती है और यकीन जानिये शादी के बाद पढाई लड़का और आसानी से कर सकेगा क्यूंकि उसका मन का बहकना बंद हो जाएगा |
ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनकी किसी कारन वश शादी सही उम्र में नहीं हो पाती और वो अकेले जीवन गुज़ारने के बाध्य होते हैं या ऐसे बहुत से लोग हैं जो विधुर हो गए या महिलाएं विधवा हो गयीं और वो भी अकेले जीवन गुज़ारने को बाध्य होते हैं | ऐसे लोगों को विवाह अवश्य कर लेना चाहिए क्यूँ की अकेले जीवन गुजारना बड़ा ही तकलीफ वाला हुआ करता है और बहकने या पाप में पड़ने की आशंका भी बनी रहती है |
हमारे समाज के दस्तूर ने शादियाँ और तलाक के बाद शादी को इतना मुश्किल बना दिया है की हमें ऐसा लगता है की शादी करना भी एक बड़ी मुश्किल है और बेहद खर्चीला काम है जबकि इस्लाम में शादी करनाआसान हैं और किसी तरह का की खर्च इसमें नहीं है | जोड़े मर्ज़ी से और अल्लाह की कुर्बत की नीयत से बनाए जाते हैं बस इसे ही शादी कहते हैं |
विधवा या वो जिनकी शादी उम्र गुजरने के बाद भी नहीं हुयी उनके लिए मुताह का प्राविधान भी है और इसका सबसे बड़ा कारण है की इंसान गुनाहों में पड़ने से बचा रहे और जीवन अकेला गुज़ारने पे मजबूर ना हो |
आप ये कह सकते हैं की किसी भी हाल में इस्लाम में इंसान के वयस्क होने के बाद अकेला रहना पसंद नहीं किया जाता क्यूँ की ये इंसान को पाप की और धकेलता है |
आज के सामाजिक परिवेश में देखने से पता चलता है की आज का नौजवान बालिग़ होने के १० से १५ साल बाद ही शादी कर पाता है और इसी कारणवश शादी के पहले शारीरिक संबंथ बना लेने की दर आज बढती जा रही है | यकीनन शादी के पहले अनैतिक शारीरिक सम्बन्ध पाप हैं और इस से बचने के उपाय तलाशने की आज आवश्यकता है |
हमारा ये सोंचना सही नहीं की शादी पढ़ाई में बाधा पैदा कर सकती है या नौकरी से नहीं है लड़का तो कैसे शादी करें ? रिजक अल्लाह देता है और आपने वाली अपने साथ अपना रिजक लाती है और यकीन जानिये शादी के बाद पढाई लड़का और आसानी से कर सकेगा क्यूंकि उसका मन का बहकना बंद हो जाएगा |
ऐसे बहुत से लोग होते हैं जिनकी किसी कारन वश शादी सही उम्र में नहीं हो पाती और वो अकेले जीवन गुज़ारने के बाध्य होते हैं या ऐसे बहुत से लोग हैं जो विधुर हो गए या महिलाएं विधवा हो गयीं और वो भी अकेले जीवन गुज़ारने को बाध्य होते हैं | ऐसे लोगों को विवाह अवश्य कर लेना चाहिए क्यूँ की अकेले जीवन गुजारना बड़ा ही तकलीफ वाला हुआ करता है और बहकने या पाप में पड़ने की आशंका भी बनी रहती है |
हमारे समाज के दस्तूर ने शादियाँ और तलाक के बाद शादी को इतना मुश्किल बना दिया है की हमें ऐसा लगता है की शादी करना भी एक बड़ी मुश्किल है और बेहद खर्चीला काम है जबकि इस्लाम में शादी करनाआसान हैं और किसी तरह का की खर्च इसमें नहीं है | जोड़े मर्ज़ी से और अल्लाह की कुर्बत की नीयत से बनाए जाते हैं बस इसे ही शादी कहते हैं |
विधवा या वो जिनकी शादी उम्र गुजरने के बाद भी नहीं हुयी उनके लिए मुताह का प्राविधान भी है और इसका सबसे बड़ा कारण है की इंसान गुनाहों में पड़ने से बचा रहे और जीवन अकेला गुज़ारने पे मजबूर ना हो |
आप ये कह सकते हैं की किसी भी हाल में इस्लाम में इंसान के वयस्क होने के बाद अकेला रहना पसंद नहीं किया जाता क्यूँ की ये इंसान को पाप की और धकेलता है |