पूरी दुनिया के इंसानो पे बड़ा सख्त वक़्त आया है
पूरी दुनिया के इंसानो पे बड़ा सख्त वक़्त आया है इस महामारी कोरोना की शक्ल में जिस से हर शख्स डरा हुआ है | लोग इसके बारे में अलग अलग सोंच...
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पूरी दुनिया के इंसानो पे बड़ा सख्त वक़्त आया है इस महामारी कोरोना की शक्ल में जिस से हर शख्स डरा हुआ है | लोग इसके बारे में अलग अलग सोंच रखते हैं यह उनका अपना जाती मामला और तजुर्बा है लेकिन अब यह हाल हो गया है की जिस किसी इस्लामिक ग्रुप में देखिये इन्ना लिल्लाह के मैसेज ही दिख रहे हैं | यह तो अल्लाह जाने की कौन किस वजह से किस बिमारी से जा रहा है लेकिन यह कड़वा सच है की इतनी मौत की खबर पहले नहीं आती थी |
बाज़ारों में जाइये तो आप देखेंगे बहुत से लोग है जिन्हे देख के लगता ही नहीं की कोई कोरोना जैसी बिमारी भी है या किसी तरह के एहतियात की ज़रूरत भी है | सही नहीं एहतियात करें कोरोना न भी हुआ तो नुकसान नहीं होगा एहतियात में |
मेरा ज़हन तो यही कहता है कोरोना के वजूद पे बहस करने से बेहतर है जो मुमकिन हो एहतियात किया जाय और यह एहतियात सिर्फ इतना ही नहीं की कोरोना ना होने पाय बल्कि यह भी की खुदा ना करे बावजूद एहतियात के कुछ हो गया तो क्या होगा ? क्या हम उस दुनिया के लिए तैयार है ? अल्लाह सभी मोमिन मोमिनात को सेहत और लम्बी उम्र दे लेकिन हर दिन आती मौत की खबर से अब डर लगने लगा है | |
सोंचिये क्या हम उस दुनिया के लिए तैयार है ? वैसे भी मोमिन को अपने दुनियावी मुआमलात में ऐसा होना चाहिए की जैसे वो हर वक़्त मौत के लिए तैयार है | फिर ऐसे सख्त दौर में तो कम से कम खुद के दुनियावी मुआमलात को दुरुस्त कर लें जब की मौत हर तरफ सर पे दिखाई दे रही है | यह दुनिया की मुहब्बत में गुनाहों को अंजाम देना , नमाज़ और दुआ से दूर रहना , एक दूसरे की ख़ुशी तरक़्क़ी को बर्दाश्त न करपाना, दौलत शोहरत के लिए किसी का भी दिल दुखाना वगैरह | सब यही रह जायगा इसलिए जितना मुमकिन हो अपने गुनाहीं के लिए तौबा करें , किसी का दिल दुखाया हो तो माफी मांग लें और माफ़ कर भी दें | नमाज़ों में सबके लिए दुआ करें | सहीफ़ा ऐ सज्जादिया की 7 नंबर की दुआ पढ़ें हर रोज़ और ज़ियारत ऐ आशूरा हर रोज़ पढ़ें | सदक़ा निकालें और ज़हूर ऐ इमाम की दुआ करें |
मुख्तसर यह की अपने जिस्म और रूह दोनों का ख्याल रखें | दुनिया में रहे तो सेहत मंद रहे और खुदा ना करे चल बसे तो अफ़सोस न हो की काश दुनिया में रहते अक़्ल आ गयी होती |
यक़ीन रखिये अगर हम एहतियात कर रहे हैं , हमारा किरदार दुरुस्त और हाथ अल्लाह की बारगाह में दुआओं के लिए बलन्द है तो कोई फ़िक्र की बात नहीं | खुश रहे | जाने अनजाने में किसी का दिल दुखा हो मुझसे तो माफी चाहूंगा |
एस एम मासूम
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