नमाज़े आयात पढ़ने का तरीक़ा | विडियो

1516। नमाज़े आयात की दो रकअतें हैं और हर रकअत में पाँच रुकूअ हैं। इस के पढ़ने का तरीक़ा यह है कि नियत करने के बाद इंसान तकबीर कहे और एक दफ़ा अलहम्द और एक पूरा सूरह पढ़े और रुकूअ में जाए और फिर रुकूअ से सर उठाए फिर दोबारा एक दफ़ा अलहम्द और एक सूरह पढ़े और फिर रुकूअ में जाए। इस अमल को पांच दफ़ा अंजाम दे और पांचवें रुकूअ से क़्याम की हालत में आने के बाद दो सज्दे बजा लाए और फिर उठ खड़ा हो और पहली रकअत की तरह दूसरी रकअत बजा लाए और तशह्हुद और सलाम पढ़ कर नमाज़ तमाम करे।
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1518। अगर कोई शख़्स नमाज़े आयात की एक रकअत में पांच दफ़ा अलहम्द और सूरह पढ़े और दूसरी रकअत में एक दफ़ा अलहम्द पढ़े और सूरे को पाँच हिस्सों में तक़सीम कर दे तो कोई हरज नहीं है।
1519। जो चीज़ें यौमिया नमाज़ में वाजिब और मुस्तहब हैं अलबत्ता अगर नमाज़े आयात जमाअत के साथ हो रही हो तो अज़ान और अक़ामत की बजाए तीन दफ़ा बतौर रजा "अस्सलात" कहा जाए लेकिन अगर यह नमाज़ जमाअत के साथ न पढ़ी जा रही हो तो कुछ कहने की ज़रुरत नहीं।
1520। नमाज़े आयात पढ़ने वाले के लिए मुस्तहब है कि रुकूअ से पहले और उस के बाद तकबीर कहे और पांचवीं और दसवीं रुकूअ के बाद तकबीर से पहले "समे अल्लाहु लेमन हमिदह" भी कहे।
1521। दूसरे, चौथे, छठे, आठ्वें और दस्वें रुकूअ से पहले क़ुनूत पढ़ना मुस्तहब है और अगर क़ुनूत सिर्फ़ दस्वें रुकूअ से पहले पढ़ लिया जाए तब भी काफ़ी है।
1522। अगर कोई शख़्स नमाज़े आयात में शक करे कि कितनी रकअतें पढ़ी हैं और किसी नतीजे पर न पहुंच सके तो उस की नमाज़ बातिल है।
1523। अगर (कोई शख़्स जो नमाज़े आयात पढ़ रहा हो) शक करे कि वह पहली रकअत के आख़िरी रुकूअ में है या दूसरी रकअत के पहले रुकूअ में और किसी नतीजे पर न पहुंच सके तो उस की नमाज़ बातिल है लेकिन अगर मिसाल के तौर पर शक करे कि चार रुकूअ बजा लाया है या पाँच और उस का यह शक सज्दे में जाने से पहले हो तो जिस रुकूअ के बारे में उसे शक हो कि बजा लाया है या नहीं उसे अदा करना ज़रुरी है लेकिन अगर सज्दे के लिए झुक गया हो तो ज़रुरी है कि अपने शक की परवा न करे।

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