हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ की तस्बीह की फ़ज़ीलत |

हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ की तस्बीह की फ़ज़ीलत | तस्बीह के बारे मै अयातुल्लाह सय्यद अली नकी नकवी (नक्कन साहब)फरमाते है :कहीं से माले ग...



हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ की तस्बीह की फ़ज़ीलत |

तस्बीह के बारे मै अयातुल्लाह सय्यद अली नकी नकवी (नक्कन साहब)फरमाते है :कहीं से माले गनीमत में कुछ कनीज़े आई और वोह असहाब को तकसीम की जा रही थी -तो रिवायत बताती है के हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली अ.स ने घर मै आकर फ़रमाया :तुम्हारे वालिद बुज़ुर्गवार स.अ.व.व के पास कनीज़े आयी है और मुख्तलिफ सहाबा को दे रहे हैं तो जितना सबको हक है उतना तो तुम्हे भी है -लिहाज़ा अपने अपने वालिद के पास आप जाइए और खुआहिश करिए के एक कनीज़ तुम्हारे सुपुर्द करदें -अब किन लफ्जों मै कहाँ होगा वोह रिवायत ने नहीं बताया |

मैं समझता हूँ कि हाथ दिखा दिए होंगें यही काफी है -हज़रत मोहम्मद स.अ.व.व ने फ़रमाया बेटी हाँ ठीक है  मुतालेबा तुम्हारा ठीक है -मगर तुम खुद बताओ कनीज़ लोगी या एक ऐसी तस्बीह सिखादूं जो आस्मां के मालिक  को बहुत पसंद है  -हज़रत फातिमा अ.स कहने लगी बाबाजान बस तस्बीह सिखा दीजिये -और वोह तस्बीह थी ३४ बार अल्लाहो अकबर ,३३ बार अल्हम्दोलिल्लाह ,३३ बार सुभान अल्लाह -इसलिए इस तस्बीह का नाम तस्बीह-ऐ-फातिमा ज़हर स.अ पढ़ गया -

हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स का फरमान :
हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह से बढ़ कर कोई इबादत नहीं है इस लिए के अगर के अगर उससे बढ़ कर कोई और शै(चीज़ ) होती तो रसूल स.अ.व.व हज़रत फातिमा अ.स वही चीज़ अता फरमाते -
इमाम जफ़र सादिक अ.स का फरमान :


जो शख्स वाजिबी नमाज़ के बाद हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह को बजा लाये और वोह उस हल मै हो के उसने अभी तक अपने दाये पाओ को बाये पाओ पर से उठाया भी न हो ...उसके तमाम gunah माफ़ करदिये जाते है -और इस तस्बीह का आगाज़ अल्लाहोअक्बर से किया जाये-(तहज़ीबुल अहकाम जिल्द २ पेज 105)
हर रोज़ हज़रत फातिमा अ.स कि तस्बीह का हर नमाज़ के बाद बजालाना मेरे नजदीक रोजाना एक हज़ार रकत नमाज़ अदा करने से ज़्येदा महबूब है- (फुरु-ऐ-काफी किताब सलत पेज ३४३ हदीस 15)
रात को सोने से पहले तस्बीह पढ़ने कि फ़ज़ीलत
हज़रत इमाम जफ़र सादिक अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स रात को सोने से पहले हज़रत फातिमा अ.स की तस्बीह को पढ़े तो वोह उन मर्दों और औरतो मै शुमार होगा जो अल्लाह को ज्यादा याद करते है -(वासिल उष शिया जिल्द ४ पेज 1026).
हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अ.स ने फ़रमाया :जो शख्स तस्बीह के बाद अस्ताग्फार करे ...उसके गुनाह माफ़ करदिये जाते है -और उसके दानो की अदद १०० है -और उसका सवाब मीज़ान-ऐ-अमल मै हज़ार दर्जा है



Related

फातिमा ज़हरा 5046537187281001628

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

इधर उधर से

Comment

Recent

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Admin

item