यजीद ने की थी सरे इमाम हुसैन (अ.स) की बेहुरमती -सुन्नी किताब से |
साधारण रूप से ये रिवायत वर्णन की जाती है के यज़ीद के सामने जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु का सर मुबारक लाया गया तो वह आप के दांतों...
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साधारण रूप से ये रिवायत वर्णन की जाती है के यज़ीद के सामने जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु का सर मुबारक लाया गया तो वह आप के दांतों पर छड़ी मारने लगा इसी समय वहाँ उपस्थित एक सहाबी रज़ियल्ला जानना हु तआ़ला अन्हु ने इस को सख्ती से रोका, मैं ये जान्ना चाहता हुं के ये रिवायत किस पुस्तक में है और वह सहाबी का नाम क्या है?
आप ने जिस रिवायत के बारे में पूछा है इस को अल्लामा इब्न कसीर (जन्मः 700, देहान्तः 774 हिज्री) ने अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 209 में लिखित है और वह सहाबी जलील रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु जिन्हों ने यज़ीद की इस हरकत पर नकीर व निन्दा फरमाई, हज़रत अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु हैं।
हाफिज़ इब्न हजर असखलानी रहमतुल्लाहि अलैह (जन्मः 773, देहान्तः 852 हिज्री) ने इन का मुबारक नाम नुज़ला बिन उ़बैद रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु वर्णन किया है।
(तहज़ीब अल तहज़ीब, जिल्द 10, पः 399)
अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 209 के हवाले से वर्णन रिवायत निम्नलिखित हैः-
अबु मिखनफ ने अबु हमज़ा सिमाली से वर्णित की है, इन्हों अबदुल्लाह यमानी से वर्णित की है, इन्हों ने खासिम बिन बुखैत से वर्णित की है, इन्हों ने कहाः जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु का सर अनवर के सामने रखा गया इस के हाथ में एक छड़ी थी जिस से वह आप के सामने मुबारक दांतों को कचोके देने लगा। फिर इस ने कहाः निश्चय इन की और हमारी मिसाल ऐसी है जैसा के हुसैन बिन हिम्माम मिर्री ने कहा हमारी तलवारें ऐसे लोगों की खोपड़ियां फोड़ती हैं जो हम पर प्रभावित व शक्ति रखते थे और जो हद तक अवज्ञा व आज्ञाभंग और अत्याचारी थे। हज़रत अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः सुन ले अए यज़ीद! खुदा की कसम तो अपनी छुरी इस स्थान पर मार रहा है जहाँ मैं ने रसूल अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को चूमते और चूसते हुए देखा है। पिर फरमाया सावधान हो जा! अए यज़ीद क़यामत के दिन इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु इस शान व प्रतिभा से आएंगे के हज़रत मुहम्मद मुसतफा सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम होंगे और तू इस प्रकार आएगा के तेरा दरफदार व समर्थक इब्न ज़ियाद दिब्द निहाद होगा।
(अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 208)
अधिक वर्णन पुस्तक की जिल्द 8, पः 215, पर इसी घटना से संबंधित रिवायत अंत में इस प्रकार व्याख्या हैः-
भाषांतरः- इस समय यज़ीद से अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः अपनी छड़ी को हटाले! खुदा की कसम मैं ने अधिकता से रसूल पाक सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को अपना दहन (पवित्र थूक) इमाम हुसैन के दहन पर रख कर चूमते हुए देखा है।
आप ने जिस रिवायत के बारे में पूछा है इस को अल्लामा इब्न कसीर (जन्मः 700, देहान्तः 774 हिज्री) ने अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 209 में लिखित है और वह सहाबी जलील रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु जिन्हों ने यज़ीद की इस हरकत पर नकीर व निन्दा फरमाई, हज़रत अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु हैं।
हाफिज़ इब्न हजर असखलानी रहमतुल्लाहि अलैह (जन्मः 773, देहान्तः 852 हिज्री) ने इन का मुबारक नाम नुज़ला बिन उ़बैद रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु वर्णन किया है।
(तहज़ीब अल तहज़ीब, जिल्द 10, पः 399)
अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 209 के हवाले से वर्णन रिवायत निम्नलिखित हैः-
अबु मिखनफ ने अबु हमज़ा सिमाली से वर्णित की है, इन्हों अबदुल्लाह यमानी से वर्णित की है, इन्हों ने खासिम बिन बुखैत से वर्णित की है, इन्हों ने कहाः जब इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु का सर अनवर के सामने रखा गया इस के हाथ में एक छड़ी थी जिस से वह आप के सामने मुबारक दांतों को कचोके देने लगा। फिर इस ने कहाः निश्चय इन की और हमारी मिसाल ऐसी है जैसा के हुसैन बिन हिम्माम मिर्री ने कहा हमारी तलवारें ऐसे लोगों की खोपड़ियां फोड़ती हैं जो हम पर प्रभावित व शक्ति रखते थे और जो हद तक अवज्ञा व आज्ञाभंग और अत्याचारी थे। हज़रत अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः सुन ले अए यज़ीद! खुदा की कसम तो अपनी छुरी इस स्थान पर मार रहा है जहाँ मैं ने रसूल अकरम सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को चूमते और चूसते हुए देखा है। पिर फरमाया सावधान हो जा! अए यज़ीद क़यामत के दिन इमाम हुसैन रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु इस शान व प्रतिभा से आएंगे के हज़रत मुहम्मद मुसतफा सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम होंगे और तू इस प्रकार आएगा के तेरा दरफदार व समर्थक इब्न ज़ियाद दिब्द निहाद होगा।
(अल बिदायह वन निहायह, जिल्द 8, पः 208)
अधिक वर्णन पुस्तक की जिल्द 8, पः 215, पर इसी घटना से संबंधित रिवायत अंत में इस प्रकार व्याख्या हैः-
भाषांतरः- इस समय यज़ीद से अबु बरज़ह सलमी रज़ियल्लाहु तआ़ला अन्हु ने फरमायाः अपनी छड़ी को हटाले! खुदा की कसम मैं ने अधिकता से रसूल पाक सल्लल्लाहु तआ़ला अलैहि वसल्लम को अपना दहन (पवित्र थूक) इमाम हुसैन के दहन पर रख कर चूमते हुए देखा है।