आज तो ज़मीन जायदाद वक़्फ़ करने से डर लगता है

आज तो ज़मीन जायदाद वक़्फ़  करने  से डर लगता है की कहीं आने वाले वक़्त में यह अपनी ही क़ौम में आपसी दुश्मनी की वजह ना बन जाय |  पहले जिनके ...

दुनिया की कठिनाई और परेशानियां आख़ेरत की मिठास हैं

एक दिन हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अपनी थकान उतारने के लिए लेटे तो आपने एक पत्थर अपने सर के नीचे रख लिया और आराम करने लगे। इतने में उधर स...

हमारे अनुयाइ उस समय तक सुरक्षित रहेंगे जब तक वे अम्र बिलमारूफ और नही अनिलमुन्कर करते रहेंगे ..पैग़म्बरे इस्लाम

नमाज़, रोज़ा, हज, और जेहाद की भांति अम्र बिलमारूफ को भी धार्मिक आदेशों में समझा जाता है और उनके मध्य इसे विशेष स्थान प्राप्त है। हज़...

मुसलमान ने मुसलमान का हक नहीं दिया तो विलायत के बहार | इमाम जाफ़र ऐ सादिक (अ.स)

मोअल्लाह बिन ख़ुनैस इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत करते हैं कि मैं ने इमाम से पूछा कि एक मुसलमान का दूसरे मुसलमान पर क्या हक़ है? आपने फ...

महिलाएं या पुरुष खुद को अच्छा दिखाने के लिए अपने जीवन साथी की कमियाँ न गिनाएं |

यह बात अत्यंत आवश्यक है कि पति-पत्नी, अच्छी समझ-बूझ के लिए संयुक्त जीवन से बाहर एक दूसरे की बातों और रहस्यों को बयान न करें क्योंकि ज...

समस्याओं से छुटकारे के लिए इमाम ज़माना (अ) से रिवायत, आज़माई हुई दुआ

समस्याओं से छुटकारे के लिए इमाम ज़माना (अ) से रिवायत, आज़माई  हुई दुआ अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी किताब अलकरेमुल तय्यब म...

बुखार से बचने की दुआ|

हज़रत फ़ातेमा (स) से रिवायत बुखार से बचने की दुआ (एक विस्तिरित हदीस में हज़रत सलमान फ़ारसी से इस प्रकार रिवायत हुई है) हज़रत फ...

ज़ियारते नाहिया हिन्दी अनुवाद

सलाम हो ख़लक़े ख़ुदा में चुने रोज़गार नबी आदम (अ:स) पर सलाम हो अल्लाह के वली और इस के नेक बन्दे शीस (अ:स) पर सलाम हो ख़ुदा के दलील...

बरज़ख़ ,स्वर्ग.नरक और क़यामत क्या है

बरज़ख़ आयाते क़ुरआन और अहादीस मासूमीन (अ) से मालूम होता है कि मौत इंसान की नाबूदी का नाम नही है बल्कि मौत के बाद इंसान की रूह ...

लैलतुल रग़ाएब -रजब महीने की पहली शबे जुमा

रजब महीने की पहली शबे जुमा (गुरुवार की रात) को लैलतुर रग़ाएब कहा जाता है यानी आर्ज़ूओं और कामनाओं की रात ... इस महान रात के कुछ ख़...

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नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

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