समस्याओं से छुटकारे के लिए इमाम ज़माना (अ) से रिवायत, आज़माई हुई दुआ

समस्याओं से छुटकारे के लिए इमाम ज़माना (अ) से रिवायत, आज़माई  हुई दुआ अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी किताब अलकरेमुल तय्यब म...



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समस्याओं से छुटकारे के लिए इमाम ज़माना (अ) से रिवायत, आज़माई  हुई दुआ

अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

किताब अलकरेमुल तय्यब में लेखक लिखते हैः मैने एक सम्मानित और विश्वासयोग्य सैय्यद का लिखा दिखा है जिसमें लिखा थाः मैंने 1093 हि0 क़0 को रजब के महीने में मेरे भाई और विद्वान अमीर इस्माईल बिन हुसैन बेग बिन अली अबन सुलैमान जाबेरी अंसारी से सुना कि वह कहते हैं:

मैं कुछ शत्रुओं के बीच सच्चे धर्म (शिया) की सच्चाई प्रमाणित करने के कारण फंस गया, उन शत्रुओं ने मेरे माल बरबाद कर दिया और मुझे अपनी जान का ख़तरा महसूस हुआ, जिसके कारण मैं बहुत परेशान था।

इसी बीच एक दिन मुझे अपनी जेब में एक दुआ मिली, मुझे बहुत आश्चर्य हुआ क्योंकि मैंने किसी से भी वह दुआ नहीं ली थी, लेकिन रात को सपने में एक व्यक्ति को मुत्तक़ियों के कपड़ों में देखा वह कह रहे थेः हमने तुम्हें फ़लां दुआ दी हैं उसे पढ़ो ताकि तुम्हारी समस्याएं हल हो सकें और तुम परेशानियों से नजात पा सको।

मुझे यह पता न चल सका कि मेरे सपने में मुझसे बात करने वाला कौन था, इसी कारण मेरा आश्चर्य और अधिक बढ़ गया दूसरी बार मैंने इमामे ज़माना (अ) को सपने में देखा कि आप फ़रमा रहे थेः

हमने तुम्हें जो दुआ दी है उसको पढ़ों और जिसे चाहों उसे इस दुआ का ज्ञान दो।

हमने बहुत बार यह दुआ पढ़ी और मेरी समस्याएं समाप्त हो गई, इस दुआ का हमने तजुर्बा किया है, लेकिन कुछ समय के बाद मुझसे यह दुआ खो गई जिसका मुझे बहुत अफसोस हुआ और इस कार्य पर मैं बहुत लज्जित हुआ

लेकिन एक व्यक्ति आया और उसने कहा कि तुम्हारी दुआ फ़लां स्थान पर गिर गई हैं, लेकिन मुझे यह याद नहीं पड़ता कि मैं कभी उस स्थान पर गया भी था। बहरहाल मैं उस स्थान पर गया और दुआ उठा ली और शुक्र का सजदा किया

वह दुआ यह थी

بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمنِ الرَّحيمِ

رَبِ اَسئَلُکَ مَدَداً روحانیّاً تَقوی بِهِ قوایَ الکُلِیة و الجُزئیة ، حَتی اَقهَرَ بِمَبادی نَفسی کُلُ نَفسٍ قاهِرَةٍ فَتَنقَبِضَ لی اِشارَةُ َقائِقِها، اِنقباضاً تَسقُط بِه قُواها ، حَتی لا بَیقی فِی الکَونِ ذُو رُوحٍ اِلّا وَ نارُ قَهری قَد اَحرَقَت ظُهُورَه.یا شَدیدُ یا شَدیدُ یا ذَالبَطشِ الشَدید یا قاهِرُ یا قَهّار، اَسئَلُکَ بِما اَودَعتَهُ عِزرائیلَ مِن اَسمائِک اَلقَهریة ، فَانفَعَلَت لَه  النُفُوس بِالقَهرِ اَن تودِعَنی هذا السِّرِّ فی هذهِ السّاعّةِ حَتی اُلَیِن بِه کِلَّ صَعبٍ وَ اُذَلِّل بِه کُلَّ مَنیع ،بِقُوَتِکَ یا ذَا القُوَةِ المَتین.

अगर संभव हो तो इस दुआ को सहर के समय तीन बार, सुबह के समय तीन बार और रात के समय तीन बार पढ़ें, और अगर समस्या बहुत गंभीर हो तो इस दुआ को पढ़ने के बाद तीस बार यह दुआ पढ़ें

 يا رَحْمانُ يا رَحيمُ ، يا أَرْحَمَ الرَّاحِمينَ ، أَسْئَلُكَ اللُّطْفَ بِما جَرَتْ بِهِ الْمَقاديرُ .


(सहीफ़ ए महदिया, पेज 346, सैय्यद मुर्तज़ा मुजतहेदी सीस्तानी)



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