कभी ऐसा भी पुल बनाओ |
एक मेहनती और दयालू बाप जिसके दो बेटे थे। बाप दुनिया से चल बसा और बेटों के लिये विरासत में एक बाग़ छोड़ गया। कई वर्षों तक दोनों भाई ह...
एक मेहनती और दयालू बाप जिसके दो बेटे थे। बाप दुनिया से चल बसा और बेटों के लिये विरासत में एक बाग़ छोड़ गया। कई वर्षों तक दोनों भाई ह...
रिश्तेदारों से दूरी मौत को क़रीब लाती है कुलैनी अपनी पुस्तक अलकाफ़ी में लिखते हैं कि एक व्यक्ति इमाम सादिक़ (अ) के पास आया और कह...
बहाने बाज़ी जुनेद बग़दादी कहते हैं मुझे शैतान से मुलाक़ात का शौक़ था एक दिन मैं मस्जिद के द्वार पर खड़ा था कि अचानक एक बूढ़ा द...
मोमिन को प्रसन्न करना बेहतरीन इबादत इमाम हुसैन (अ) ने फ़रमाया मेरे नाना रसूले ख़ुदा (अ) का कहना है किः नमाज़ के बाद बेहतरीन कार्...
इब्राहीम बिन हाशिम कहते हैं मैंने अरफ़ात में अब्दुल्लाह बिन जुनदब से अधिक दुआ मांगने वाला कोई व्यक्ति नहीं देखा। मैंने देखा कि ह...
माता-पिता की नारज़गी मौत को कठिन बना देती है एक व्यक्ति की मौत का समय आ चुका था। उस व्यक्ति की मौत का समय तो आ चुका था लेकिन क...
कभी किसी को बुराभला न कहो एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा (स) के पौत्र इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम अपने एक सा...
दुनिया का पहला क़त्ल सकीना बानों अलवी हम आपके सामने आज दुनिया के पहले क़ल्त के बारे में बयान करने जा रहे हैं। ईश्वर ने सार...
इमाम ज़ैनुल आबेदीन (अ.) ने फ़रमाया: अल्लाह का तुम पर हक़ यह है कि उसकी आराधना करो और किसी चीज़ को उसका साथी न बनाओ, और अगर सच्चे द...
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एक दिन हज़रत मूसा अलैहिस्लाम कोहे तूर पर तशरीफ ले जा रहे थे। रास्ते में उनकी मुलाकात एक इंसान से हुई जो अल्लाह की इबादत मैं लगा हुआ थ...
ज़िआरत ए मासूमीन (अस) और ज़िआरत ए वारिसा इमाम अली (अस ) की वसीयत और हम जवानों को इमाम अली (अ) की वसीयतें
किसी भी अक्लमंद इंसान को सबसे पहले यह सोंचना चाहिए की वो हकीकत में हैं क्या और अल्लाह से उसका क्या रिश्ता है |मानवजाति का अल्...
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम ने कहा कि हे अली, जिब्राईल ने मुझे तुम्हारे बारे में एक एसी सूचना दी है जो मेरे नेत्रों क...
जी हाँ आज भी हज़रत मुहम्मद (स.अ.व) की औलाद दुनिया भर के मुसलमानों से पूछती है हमारा कुसूर क्या था कि बाद वफात ए रसूल ए खुदा हज़रत मुहम्मद...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...