कभी ऐसा भी पुल बनाओ |
एक मेहनती और दयालू बाप जिसके दो बेटे थे। बाप दुनिया से चल बसा और बेटों के लिये विरासत में एक बाग़ छोड़ गया। कई वर्षों तक दोनों भाई ह...
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एक मेहनती और दयालू बाप जिसके दो बेटे थे। बाप दुनिया से चल बसा और बेटों के लिये विरासत में एक बाग़ छोड़ गया। कई वर्षों तक दोनों भाई हँसी ख़ुशी साथ साथ रहे लेकिन अचानक एक छोटे से बिगाड़ की वजह से आपस में लड़ पड़े।
कुछ दिन तक दोनों तरफ़ शांति रही और धीरे धीरे दूरियां बढ़ती रहीं यहाँ तक कि दोनो भाई बिल्कुल अलग अलग हो गए।
एक दिन छोटे भाई नें बाग़ के बीचो बीच एक नहर खोद डाली जिससे दोनों का रास्ता भी अलग अलग हो गया। बड़े भाई को यह देख कर बड़ा ग़ुस्सा आया लेकिन वह कुछ न कर सका।
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एक दिन सुबह सवेरे एक बढ़ई नें आकर बड़े भाई के घर का दरवाज़ा खटखटाया और उससे बोला: मैं एक बढ़ई हूँ और काम की तलाश में निकला हूँ अगर तुम्हारे पास लकड़ी का कोई काम हो तो मैं कर सकता हूँ।
वह बोला: हाँ एक काम है।
बढ़ई नें पूछा: क्या काम है?
उसनें नहर की तरफ़ इशारा करते हुए कहा: नहर के उस पार मेरा छोटा भाई रहता है जिससे मेरा झगड़ा हो गया था उसनें नहर खोद कर अपना रास्ता भी मुझसे अलग कर दिया। मैं चाहता हूँ कि तुम नहर के पास लकड़ी की एक दीवार बना दो ताकि मैं उसका मनहूस मुँह न देख सकूँ।
बढ़ई बोला: ठीक है।
उसनें बढ़ई को सारा सामान लाकर दिया और ख़ुद किसी काम से बाज़ार चला गया।
शाम को जब वह काम से वापस लौटा तो ग़ुस्से और आश्चर्य से उसकी आँखें कभी बड़ी होती तो कभी लाल। क्योंकि वहाँ लकड़ी की दीवार की जगह नहर के ऊपर एक पुल बना हुआ था। उसनें ग़ुस्से में बढ़ई से कहा: मैंने तुमसे दीवार बनाने के लिये कहा था, पुल बनाने के लिये नहीं।
उसी समय छोटा भाई भी अपने काम से वापस लौटा तो नहर पर बने पुल को देखकर अचम्भे में पड़ गया और यह सोचनें लगा कि उसके भाई नें यह पुल बनवाया है। वह पुल से गुज़र कर उस तरफ़ आया और अपने बड़े भाई से गले मिलकर उससे माफ़ी मांगने लगा।
छोटे भाई का पश्चाताप देख कर बड़े भाई की मोहब्बत को भी जोश आया और उसनें ख़ुशी ख़ुशी छोटे भाई को माफ़ कर दिया।
यह देखकर बढ़ई की आंखों में भी आंसू आ गए लेकिन यह ख़ुशी के आंसू थे क्योंकि वह दो बिछड़े हुए भाइयों को मिलाने में सफल हो गया था।
उसनें सामान उठाया और अपनी मंज़िल की तरफ़ चल दिया। जब भाइयों नें उसे जाते हुए देखा तो उन्होंने उससे कहा: कुछ दिन तुम हमारे पास हमारे मेहमान बनकर रहो।
बढ़ई नें जवाब दिया: मेरा भी रुकने का दिल चाहता है लेकिन मुझे अभी इस तरह के बहुत सारे पुल बनाने हैं।
हम भी दूसरों की ज़िन्दगी में इस तरह के बहुत से पुल बना सकते हैं।
दो रूठे हुए भाइयों के बीच।
एक दूसरे से नाराज़ मियाँ बीवी के बीच।
दो दोस्तों के बीच।
अपने और ख़ुदा के बीच.
और.........
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