क़ुरआन ने सुनाई हज़रत यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा के इश्क़ की दास्तान |

 क़ुरआन ने सुनाई हज़रत यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा के इश्क़ की दास्तान  हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम के भाई उन्हें कुएं में डालने के बाद रोते हुए ...

इस आयतल कुर्सी का सवाब उसे बक्श दें जिसने आपको इसे पढना सिखाया |

दादी माँ ने ही उसे क़ुरआन पढ़ना सिखाया था और सूर-ए-हम्द, इन्ना आतैना और क़ुल हुवल्लाह याद कराने के बाद आयतलकुर्सी भी याद कराई थी। यह सो...

हमारे उलेमा की परेशानी ।

मुसलमानो के शिया फिर्क़े में इल्म हासिल करने पे बड़ा ज़ोर दिया जाता है और दीनी काम में तो ऐसे मुजतहिद जिसने अपना सारा जीवन ज्ञान हासिल करन...

अफवाह फैलाने वालो और झूट बोलने वालो के प्रति समाज की जिम्मेदारी । सूरए नूर, आयतें 15-20

अफवाह फैलाने वालो और झूट बोलने वालो के प्रति समाज की जिम्मेदारी ।  जब तुम उस (झूठ बात) को एक दूसरे से (सुन कर) अपनी ज़बानों पर ल...

अपने दो भाईयो के बीच सुलह करा दो और अल्लाह का डर रखो,

ऐ ईमानवालो! अल्लाह और उसके रसूल से आगे न बढो और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह सुनता, जानता है (1) ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! तुम अ...

एक मुस्लमान के लिए ज़रूरी है कि अपने घर परिवार और रिश्तेदारों से मुलाक़ात करता रहे

इस्लाम ने जिन समाजी और सोशली अधिकारों की ताकीद की है और मुसलमानों को उनकी पाबंदी का हुक्म दिया है उनमें से एक यह है कि वह अपने घर परिव...

हसद का इलाज क्या है?

हसद का मतलब होता है किसी दूसरे इंसान में पाई जाने वाली अच्छाई और उसे हासिल नेमतों के ख़त्म हो जाने की इच्छा रखना। हासिद इंसान यह नहीं ...

ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के दिलो दिमाग़ को नुक़सान पहुंचाती है

ग़ीबत यानी पीठ पीछे बुराई करना है, ग़ीबत एक ऐसी बुराई है जो इंसान के दिलो दिमाग़ को नुक़सान पहुंचाती है और समाजिक संबंधों के लिए भी ज...

हज़रत अली अ. क्यूँ शहीद हुये?

अमीरूल मोमिनीन अलैहिस्सलाम की समाजी और सियासी ज़िंदगी में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ “न्याय व इंसाफ़” है। जिस तरह आपकी निजी ज़िंदगी का सबसे स...

हुसैन आज भी अकेले हैं!!!

इन्सान आज भी जब इतिहास में झांक कर देखता है तो उसे दूर तक रेगिस्तान में दौड़ते हुए घोड़ें की टापों से उठती हुई धूल के बीच खिंची हुई तलवा...

तकलीद किसकी करें -ज़रूरी मसायल |

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना अहमद अली आबेदी साहब के मुंबई खोजा जामा मस्जिद के तारीखी ख़ुत्बे  के बाद उम्मत ए तशय्यो में एक ज़िम्मेदाराना बदलाव ...

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नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

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