हमारे उलेमा की परेशानी ।

मुसलमानो के शिया फिर्क़े में इल्म हासिल करने पे बड़ा ज़ोर दिया जाता है और दीनी काम में तो ऐसे मुजतहिद जिसने अपना सारा जीवन ज्ञान हासिल करन...



मुसलमानो के शिया फिर्क़े में इल्म हासिल करने पे बड़ा ज़ोर दिया जाता है और दीनी काम में तो ऐसे मुजतहिद जिसने अपना सारा जीवन ज्ञान हासिल करने में लगा दिया हो  उसके हुक्म को मानने की नसीहत की गयी है ।
हमारे क़ौम के उलेमा को भी दीनी तालीम हासिल करने के बाद इस बात का हक़  हैं की वो क़ौम के दीनी मसलो को हल हर करें  लेकिन हमारे उलेमा परेशान भी हैं इस बात से की उनके आस पास अल्लाह से सच्ची मुहब्बत करने वाले कम और चाटुकार और रियाकार ज़्यादा जमा होने लगे है ।


उलेमा की परेशानी की वजह ये है की चाटुकार  और रियाकार उनके आस पास दुनियावी फायदे के लिए आते हैं  और जब उनका मक़सद हल नहीं होता तो वो उन्ही उलेमा की बुरायी शुरू कर देते हैं जिनकी ज़रुरत से ज़्यादा तारीफ किया करते थे ।

चाटुकार और रियाकार (दिखावा करने वाले ) लोगो से हर इंसान को बचना ही चाहिए क्यों की ये अपना काम निकालते ही गायब हो जाते हैं और मतलब हल अगर नहीं हुआ तब तो आपकी इज़्ज़त पे ही हमला कर देते हैं ।

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