पुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैं -सूरए निसा ४:34-57

सूरए निसा; आयत 34 पुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैं इस दृष्टि से कि ईश्वर ने कुछ को कुछ अन्य पर वरीयता दी है और इस दृष्टि से कि पुरुष अ...

इस्लाम में मानवता, सौहार्द, भाई-चारे की शिक्षा – डॉ कल्बे सादिक

कुछ दिनों पहले मेरा जाना बाराबंकी हुआ तो वहाँ जनाब रिजवान मुस्तफा के अनुरोध पे एक मजलिस  ए हुसैन (अ.स) को सुनने का मौक़ा मिला. अरविन्द...

इस्लामी मानवाधिकार का घोषणापत्र

मानवाधिकार उन अधिकारों में से है जो मानवीय प्रवृत्ति का अनिवार्य अंश है। मानवाधिकार का स्थान, सरकारों की सत्ता से ऊपर होता है और विश्व की...

पाप या ग़लती का अज्ञानता व सूझबूझ से गहरा संबंध|

ईश्वरीय दूतों का इस लिए पापों से दूर रहना आवश्यक है क्योंकि यदि वे लोगों को पापों से दूर रहने की सिफारिश करेगें किंतु स्वंय पाप करेंगे ...

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की श्रेष्ठता -कुछ हदीसें

हज़रत फ़ातेमा ज़हरा की श्रेष्ठता साबित करने वाली हदीसें हम अपने इस लेख में केवल उन हदीसों को बयान कर रहे हैं जो अहले सुन्नत की किताबो...

उस उम्मत के आखिर में एक ऐसी क़ौम आयेगी

इमाम सादिक (अ. स.) अपने एक सहाबी से फरमाते हैं कि "जब तुम देखो कि ज़ुल्म व सितम आम हो रहा है, कुरआन को एक तरफ़  रख दिया गया है, ह...

कुरान के बारे में हमारी गलतफहमियां और इसका पढना |

लोग कहते हैं की कुरान किसी गैर मुसलमान के हाथ में नहीं जानी चाहिए लेकिन मैंने सुना है कि हमारे आखिरी रसुल मुह्म्मद सल्लाहॊं अलैह वस्ल्ल...

जानिये जनाब ऐ खदीजा की उम्र और उनके दो कफ़न के बारे में |

हज़रत ख़दीजा अ. के बाप ख़ुवैलद और मां फ़ातिमा बिंते ज़ाएदा बिंते असम हैं। जिस परिवार में आपका पालन पोषण हुआ वह परिवार अरब के सारे क़बील...

कुछ अहम् सवालों के जवाब कुरान से |

सवाल- आयते ततहीर किस सूरे में है जवाब – सूर -ए- अहज़ाब आयत न. 33 सवाल- आयते विलायत किस सूरे में है ? जवाब- सूर -ए- मायदा आयत...

अब सूरए इब्राहीम की आयत नंबर १२ - मानवीय समर्थकों पर भरोसा नुकसान का सौदा

और हम ईश्वर पर भरोसा क्यों न करें जबकि उसी ने (कल्याण के) मार्गों की ओर हमारा मार्गदर्शन किया है और तुम्हारी ओर से दी जाने वाली यातनाओं पर ...

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नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

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