सूरए मोमिनून, आयतें 15-18 क़यामत का ज़िक्र |
सूरए मोमिनून, आयतें 15-18 सूरए मोमिनून की 15वीं और 16वीं आयत फिर निश्चय ही तुम सब मरने वाले हो। (23:15) फिर प्रलय के ...
सूरए मोमिनून, आयतें 15-18 सूरए मोमिनून की 15वीं और 16वीं आयत फिर निश्चय ही तुम सब मरने वाले हो। (23:15) फिर प्रलय के ...
सूरए मोमिनून, आयतें 8-14, और जो लोग अपनी अमानतों और अपनी प्रतिज्ञा का पालन करते हैं।(23:8) और जो सदैव अपनी नमाज़ों की रक्ष...
सूरए मोमिनून, आयतें 1-7, अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। निश्चित रूप से ईश्वर पर ईमान रखने वाले सफल रहे।(23:...
बरज़ख़ का सवाब ओ अज़ाब क़ुरआन में (1). अन्नारो यारेजूना अलैहा--------- इल्ला आख़िर सूराः- 40, आयतः- 49, यानी वो सुब्ह शाम ...
सूरए नूर, आयतें 43-47 क्या तुमने देखा नहीं कि ईश्वर (ही पहले हवाओं के सहारे) बादलों को चलाता है? फिर उनको आपस में मिला देता है...
सूरए नूर, आयतें 35-38, ईश्वर, आकाशों और धरती का प्रकाश है। उसके प्रकाश की उपमा ऐसी है जैसे एक ताक़ है, जिसमें एक चिराग़ है, वह...
१. हमेशा सही बात करो। ( 7- सूरह. 33) २. जब तुम पर कोई मुसीबत पड़े तो यक़ीन जानो के उसका बायस (कारण) तुम ख़ुद हो। ( 79- ...
चन्द गिरोहों पर क़ुरआने मजीद में ख़ुदा और औलिया-अल्लाह की तरफ़ से वाज़ेह तौर (ख़ुले रूप) से लानत की गई है। सवाल यह पैदा होता ह...
दुनिया व आखेरत की नेकी परवरदिगार हमें दुनिया में भी नेकी अता फ़रमा और आख़ेरत में भी, और हमें जहन्नम के अज़ाब से महफ़ूज़ फ़रमा। ...
सूरए आले इमरान की आयत संख्या ५४ तथा ५५ इस प्रकार है। (ईसा मसीह के शत्रुओं ने उनकी हत्या की) योजना बनाई और ईश्वर ने भी (उन्हें बचाने...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...