हे ईमान लाने वालो! अपने घरों के अतिरिक्त दूसरे घरों में बिना अनुमति प्रवेश ना करो |सूरए नूर, आयतें 24-29,
सूरए नूर, आयतें 24-29, जिस दिन कि उनकी ज़बानें, उनके हाथ और उनके पाँव उनके विरुद्ध उन (कर्मों) की गवाही देंगे, जो वे करते...
सूरए नूर, आयतें 24-29, जिस दिन कि उनकी ज़बानें, उनके हाथ और उनके पाँव उनके विरुद्ध उन (कर्मों) की गवाही देंगे, जो वे करते...
और तुम में जो (युवा व युवतियां) अविवाहित हों और तुम्हारे दासों व दासियों में जो भले व योग्य हों, उनका विवाह कर दो (और दरिद्रता स...
सूरए नूर की आयत नंबर 60 और जो वृद्ध स्त्रियाँ जिन्हें विवाह की आशा न रह गई हो, उन पर कोई दोष नहीं कि वे अपने कपड़े (अर्थात आ...
सूरए नूर, आयतें 15-23, सूरए नूर की आयत क्रमांक 15 और 16 जब तुम उस (झूठ बात) को एक दूसरे से (सुन कर) अपनी ज़बानों पर लाते ...
सूरए नूर, आयतें 1-5 अल्लाह के नाम से जो अत्यंत कृपाशील और दयावान है। यह एक सूरा है, जिसे हमने उतारा है और इस (के आदेशों ...
श्वर इस (प्रकाश और स्पष्ट करने वाली किताब) के माध्यम से, उसकी प्रसन्नता प्राप्त करने का प्रयास करने वालों को शांतिपूर्ण एवं सुरक्षित मा...
क़ुरआन से जुड़े कुछ सवाल और जवाब । मक्की सूरे किन सूरों को कहा जाता है ? जवाब- जो सूरे हिजरत से पहले नाज़िल हुए उनको मक्की कहा जाता...
दादी माँ ने ही उसे क़ुरआन पढ़ना सिखाया था और सूर-ए-हम्द, इन्ना आतैना और क़ुल हुवल्लाह याद कराने के बाद आयतलकुर्सी भी याद कराई थी। यह सो...
अफवाह फैलाने वालो और झूट बोलने वालो के प्रति समाज की जिम्मेदारी । जब तुम उस (झूठ बात) को एक दूसरे से (सुन कर) अपनी ज़बानों पर ल...
ऐ ईमानवालो! अल्लाह और उसके रसूल से आगे न बढो और अल्लाह का डर रखो। निश्चय ही अल्लाह सुनता, जानता है (1) ऐ लोगो, जो ईमान लाए हो! तुम अ...
अल्लाह विश्वास रखने वालों का स्वामी है और उन्हें अंधकारों से प्रकाश की ओर ले जाता है और इन्कार करने वालों के स्वामी झूठे ख़ुदा होते हैं...
क़ुरान मे बहुत से आयत है जिनका इस्तेमाल परेशानी मे भी इन्सान किया जैसे आयताल कुर्सी पढने से इन्सान मह्फुज रहता है इत्यादी | मुझे किसी ...
सूरए निसा; आयत 34 पुरुष, महिलाओं के अभिभावक हैं इस दृष्टि से कि ईश्वर ने कुछ को कुछ अन्य पर वरीयता दी है और इस दृष्टि से कि पुरुष अ...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...