दिल दुखी है तो पढिये सूरए बक़रह की ये आयत |

क़ुरान मे बहुत से आयत है जिनका इस्तेमाल परेशानी मे भी इन्सान किया जैसे आयताल कुर्सी पढने से इन्सान मह्फुज रहता है इत्यादी | मुझे किसी ...



क़ुरान मे बहुत से आयत है जिनका इस्तेमाल परेशानी मे भी इन्सान किया जैसे आयताल कुर्सी पढने से इन्सान मह्फुज रहता है इत्यादी | मुझे किसी ने बताया कि अगर आप दुखी है तो क़ुरान से सूरए बक़रह की २५ वी आयत पढे| मैने सोचा चलो सूरए बक़रह की २५ वी आयत का तर्जुमा पढ के देखा जाये ऐसा क्या कहा गया है इस आयत मे कि दुख दूर हो जायगा |

पता चला अल्लाह इस आयत मे बता रहा है कि जो लोग दुनिया मे अच्छे काम करते है उन्हे ये सूचना दे दिया जाय कि अल्लाह कि नेमते उनके लिये है |

बात साफ हो गयी कि दुखो कि कारण हमारे बुरे काम है इसलिये इस आयत को पढो समझो , नेकी करो दुख दूर अवश्य हो जायेगे |

सूरए बक़रह की २५वीं आयत

और जो लोग ईमान ले आए और अच्छे कार्य करते रहे उन्हें यह शुभ सूचना दे दीजिए कि उनके लिए ऐसे बाग़ हैं जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। इन बाग़ों में से जब भी कोई फल उन्हें दिया जाएगा तो वे कहेंगे यह तो वही है जो हमें पहले दिया गया था जबकि जो उन्हें दिया गया होगा वह उससे मिलता-जुलता होगा। उनके लिए वहां पवित्र जोड़े होंगे और वे वहां सदैव रहेंगे। (2:25)

यह आयत मोमिनों के भविष्य का वर्णन कर रही है ताकि इन दोनों गुटों के परिणामों को देखकर वास्तविकता और अधिक स्पष्ट हो जाए। अलबत्ता ईमान केवल उसी समय लाभदायक होगा जब वह अच्छे कामों के साथ हो, केवल ईमान और अच्छे कार्यों से ही मनुष्य को मोक्ष और सफलता प्राप्त हो सकती है। ईमान, पेड़ की जड़ की भांति है और अच्छे कर्म उसके फलों के समान, मीठे फलों का अस्तित्व मज़बूत जड़ का और मज़बूत जड़ का अस्तित्व अच्छे फलों का प्रमाण है। जिनके पास ईमान नहीं होता वे कभी-कभार अच्छे कार्य करते हैं परन्तु चूंकि ईमान उनके असितत्व की गहराई में जड़ें नहीं पकड़ता इसीलिए उनका ईमान स्थाई नहीं होता।


 प्रलय में ईमान वालों का स्थान स्वर्ग है जिसके बाग़ सदाबहार हैं और उनमें सदा फल लगे रहते हैं। उनके नीचे नहरें हमेशा बहती रहती हैं। यद्यपि स्वर्ग के फल विदित रूप से तो संसार के फलों के समान हैं ताकि स्वर्ग वाले उन्हें पहचान सकें परन्तु स्वाद व महक की दृष्टि से वे फल पूर्ण रूप से भिन्न हैं। प्रलय में प्रजनन नहीं है परन्तु चूंकि मनुष्य को दंपति की आवश्यकता होती है अतः ईश्वर ने स्वर्ग के लोगों के लिए स्वर्ग के जोड़े बनाए हैं जिनकी असली विशेषता पवित्रता है।

 यद्यपि क़ुरआन की अनेक आयतों में स्वर्ग की भौतिक विभूतियों जैसे बाग़, महल, इत्यादि का वर्णन किया गया है परन्तु कुछ अन्य आयतों में स्वर्ग की आध्यात्मिक विभूतियों का भी वर्णन किया गया है। सूरए तौबा की बारहवीं आयत में स्वर्ग की भौतिक विभूतियों के उल्लेख के पश्चात कहा गया है ईश्वर की प्रसन्नता इन सबसे बढ़कर है। और सूरए बक़रह की आठवीं आयत में कहा गया है कि अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे उससे राज़ी हुए। ऐसा प्रतीत होता है कि विभूतियों के बारे में जो कुछ क़ुरआन में आया है वह स्वर्ग में रहने वालों के स्थान को दर्शाता है न कि उन्हें मिलने वाले समस्त उपहारों को, बल्कि पैग़म्बरों, पवित्र लोगों और मानव इतिहास के नेक लोगों के बीच रहना, स्वर्गवासियों के आध्यात्मिक आनंदों में से है।

इस आयत से हमनें यह बातें सीखीं।

उचित प्रशिक्षण के लिए प्रेरणा और भय दोनों का साथ होना आवश्यक है। काफ़िरों को दोज़ख़ अर्थात नरक की धमकी देने के साथ ही यह आयत मोमिनों को स्वर्ग की शुभ सूचना देती है।
ईमान की निशानी नेक और अच्छा कार्य है। इसीलिए क़ुरआन इन दोनों का सदैव एक साथ उल्लेख करते हुए कहता है कि ईमान लाओ और अच्छे कार्य करते रहो।

पवित्र क़ुरआन की दृष्टि में अच्छा कार्य वह है जो ईश्वर के सामिप्य के उद्देश्य से किया गया हो। हर वह अच्छा कार्य जो निजी इच्छाओं या सामाजिक आकर्षण के अंतर्गत किया गया हो, अच्छा नहीं होता इसी कारण अच्छे कार्य का ईश्वर पर ईमान के पश्चात उल्लेख किया गया है।

हलाल और हराम के संबन्ध में मोमिन जिन वस्तुओं से वंचित रहता है स्वर्ग में उनकी पूर्ति कर दी जाएगी।
सांसारिक वैभव और आनंद समाप्त होने वाले हैं इसी कारण जब यह हाथ से निकल जाते हैं तो मनुष्य दुखी होता है परन्तु प्रलय के उपहार और आनंद, सदैव रहने वाले हैं इसीलिए मनुष्य को उनके समाप्त होने की चिंता नहीं होती। जैसा कि इस आयत मे कहा गया है कि स्वर्गवासी यहां पर सदैव रहेंगे।

उचित जीवन साथी वह है जो हर प्रकार से पवित्र हो। हृदय और आत्मा की दृष्टि से भी और शारीरिक रूप से भी। अतः इस आयत में स्वर्ग के जीवन साथियों की विशेषता बताते हुए कहा गया है, पवित्र जीवन साथी।

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