एहसान को भूलने वाला मलऊन है।" हज़रत मुहम्मद (स )
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एहसान को भूलने वाला मलऊन है
रसूले ख़ुदा (स.) इर्शाद फ़रमाते हैं किः- "एहसान को भूलने वाला मलऊन है जो लोगों पर नेकियों के दरवाज़े को बंद करता है।" जब एहसान को भूला दिया जाता है तो इंसान एहसान करने से हाथ खींच लेता है क्यों कि वह चाहता है कि उसका अहसन अमल याद रखा जाए। बेहतर तो यह है कि एहसान का बदला एहसान ही से अदा किया जाए। अल्लाह ने लालच और ग़रज़ की ख़्वाहिश में एहसान करने की मनाही की है। ऐसा भी अक्सर देखा गया है कि ज़बरदस्ती किसी के साथ एहसान किया जा रहा है क्यों कि कल हमें उस शख़्स से अपना कोई बड़ा काम लेना है|
1- वालदैन के साथ एहसान करो चाहे वह गैर मुस्लिम ही क्यों न हों।
2- पड़ेसी के साथ एहसान एहसान करो चाहे वह गैर मुस्लिम ही क्यों न हो।
3- मेहमान के साथ एहसान करो चाहे वह गैर मुस्लिम ही क्यों न हों।
4- माँगने वाले के साथ एहसान करो चाहे वह गैर मुस्लिम ही क्यों न हो।
.....इस्लाम में माफ़ कर देना एहसान है।
....सलाम करना एहसान है।
.....खाना खिलाना एहसान है।
...मुसाफ़िर को पनाह देना एहसान है।
......परेशान की मदद करना एहसान है।
.....मोमिन को ख़ुश करना एहसान है।
...किसी की तारीफ़ करना एहसान है।
.....ताज़ियत करना एहसान है।
......मरीज़ों की अयादत (यानी देख भाल करना) करना एहसान है।
......किसी की ख़ैरियत पूछना एहसान है।
......बैठने के लिए किसी के लिए जगह बनाना एहसान है।
......किसी के लिए मुस्कुराना एहसान है।
......किसी के ऐब से अकेले में उसे बाख़बर करना एहसान है।
......इल्म बांटना एहसान है।
......पानी पिलाना भी एहसान है जिसे हमारा समाज एहसान नहीं समझता क्यों कि हमारी नज़र में पानी बहुत छोटी सी चीज़ है जबकि सच यह है कि पानी एक बहुत बड़ी नेमत है जिसे ख़ुदा ने हमारे लिए बेक़ीमत बना दिया है ताकि ग़रीबों को भी आसानी से मिल सके।
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