क़ुरआने मजीद की एक विशेषता उसका हर प्रकार के फेर बदल तथा परिवर्तन से सुरक्षित रहना है। एस एम मासूम

सूरए हिज्र की आयत नंबर ९ إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُ لَحَافِظُونَ (9) निश्चित रूप से हमने ही क़ुरआन को उतारा है और निसं...

सूरए हिज्र की आयत नंबर ९

إِنَّا نَحْنُ نَزَّلْنَا الذِّكْرَ وَإِنَّا لَهُ لَحَافِظُونَ (9)
निश्चित रूप से हमने ही क़ुरआन को उतारा है और निसंदेह हम ही उसकी रक्षा करने वाले हैं।(15:9)

विरोधियों की ओर से लगाए जाने वाले आरोपों तथा उनके बुरे व्यवहार के संबंध में ईश्वर, ईमान वालों को सांत्वना देते हुए कहता है कि तुम्हें क़ुरआने मजीद की सत्यता में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि इसे हमने पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम के हृदय पर उतारा है और हम ही इसकी रक्षा करने वाले हैं।
क़ुरआने मजीद में, उसके उतरने के समय, लिखे जाने के समय और लोगों के सामने प्रस्तुत किए जाने के समय, किसी प्रकार का फेर बदल नहीं हुआ है और ईश्वर इस बात की कदापि अनुमति नहीं देगा कि उसमें कण बराबर भी परिवर्तन हो। 

अन्य आसमानी किताबों के मुक़ाबले में क़ुरआने मजीद की एक विशेषता उसका हर प्रकार के फेर बदल तथा परिवर्तन से सुरक्षित रहना है।

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