मोमिन कामयाब होने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ लोगों पे तोहमत लगाता है
मोमिन किसी कामयाब होने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ लोगों पे तोहमत लगाता है|| ओहदे का शौक़ इंसान को हमेशा से रह...
ओहदे का शौक़ इंसान को हमेशा से रहा है लेकिन यह भी देखा गया है की मोमिन किसी ओहदे को पाने के लिए अपनी सलाहियतों में इज़ाफ़ा करता है और मुनाफ़िक़ उन लोगों पे तोहमत लगता है जिससे उसे यह खौफ हो की वो ओहदे का सही हक़दार है |
इसलिए जब भी आप यह देखें समाज में की कोई किसी पे बेबुनियाद तोहमत लगा रहा है तो यह भी देखिये कहीं यह शख्स को किसी ओहदे की लालच में उसके सच्चे हक़दार पे तो तोहमत नहीं लगा रहा |
" हज़रत मुहम्मद (सव ) के बाद उनके उनकी जगह लेने का शौक़ रखने वालों ने उनके खिलाफ बहुत सी साज़िशें की यहां तक की उनकी जगह लेने वाले का वजूद ही न रहे यह भी कोशिशे होती रही |
जब हज़रत मुहम्मद (सव ) के बेटे जनाब इ इब्राहिम की विलादत हुयी तो हज़रत मुहम्मद (सव ) के बाद उनकी जगह लेने वालों के अरमानो पे पानी फिर गया और उन्होंने इब्राहिम की माँ मरियाः अलकितबिया पे तोहमत लगाई और यह कहा की यह बेटा हज़रत मुहम्मद (सव ) जैसा नहीं दिखता |
तब अल्लाह ने हज़रत मुहम्मद (सव ) की बीवी मारिया का साथ दिया और जनाब ऐ जिब्राईल को भेज के मारिया के पाकीज़ा होने की बात कही | "
इसी तरह ह्ज़रत मुहम्मद सॉ की बेटी फातिमा पे और उनके शौहर पे भी ज़ुल्म हुए और हज़रत अली ालअहिंसलाम के लिए न जाने क्या क्या कहा गया | किसी ने मअज़ल्लाह बे नमाज़ी होने की तोहमत लगाई तो किसी लुटेरा बताया और यह सब तोहमत सिर्फ इसलिए की हज़रत मुहम्मद सॉ के बाद खिलाफत अली के पास न जाने पाए |
आज भी यही देखा गया है की वो लोग जिनके पास सलाहियत नहीं और ओहदे का शौक़ रखते हैं उनपे तोहमतें लगाते नज़र आते हैं जो बा सलाहियत हैं | यक़ीनन खुद को अगर कोई मुसलमान कहता है तो ऐसे तोहमत लगाने वालों का साथ नहीं देना चाहिए | लेकिन लोग दुनियावी फायदे की वजह से कभी लज़्ज़त की वजह से ऐसे लोगों का साथ देते नज़र आते हैं जिनका साथ अल्लाह भी नहीं देगा |
Al-Hakim al-Nishapuri in his well known book al-Mustadrak narrated from Aisha that she said that "I felt jealous of Mariah when she got a son from the Prophet (pbuh) and I told the Prophet (pbuh) that this child does not look like you." (vol 4, pages 41, 42)
Many other Sunni scholars have narrated the story of the jealously of Aisha and her allegation on Lady Mariah regarding the son of the Prophet (pbuh):
· Sahih Muslim (pages 1069, 1070)
· Musnad al-Bazzar (vol 2, page 237)
· Musannaf Abi Asim (vol 615, hadith nos. 3129, 3130)
· Ma’rifat al-Sahaba by Ibn Mandah (page 972)
· Hilyat al-Awliya by Abi Na'eem al-Asfahani (vol 3, pages 177, 178)
· Tabarani in al-Mu'jam al-Awsat (vol 4, pages 89, 90)
· Al-Haythami in Majma al-Zawa'id (vol 9, page 161)
https://www.al-islam.org/ask/scholars-and-experts/4759
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