google.com, pub-0489533441443871, DIRECT, f08c47fec0942fa0 क्या केवल दुआओं से कोरोना जैसी महामारी से लड़ना इस्लाम का पैगाम है ? | हक और बातिल

क्या केवल दुआओं से कोरोना जैसी महामारी से लड़ना इस्लाम का पैगाम है ?

कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को ख़ौफ़ज़दा कर दिया है और हर इंसान एक ऐसे दुश्मन से लड़ने को तैयार दिखता है जो नज़र तो नहीं आता बल्कि इ...



कोरोना वायरस ने आज पूरी दुनिया को ख़ौफ़ज़दा कर दिया है और हर इंसान एक ऐसे दुश्मन से लड़ने को तैयार दिखता है जो नज़र तो नहीं आता बल्कि इस बात का डर बना रहता है की ना जाने किस तरफ से उनके शिकार  हो जाएं | यक़ीनन कोरोना नाम के इन अनजान दुश्मन से लड़ने के लिए एक ही रास्ता दुनिया के डॉक्टरों को नज़रा आया की इसको फैलने से बचाया जाय | डॉक्टरों ने अपने अपने तरीके से इसे समझाया किसी ने कहा बार बार हाथ धोया जाय किसी ने मास्क की सलाह दी तो किसी ने एकांतवास का मश्विरा दिया | 

धार्मिक जानकारों ने भी अपने अपने तजुर्बे के अनुसार राह बतायी कोई बोलै दुआ करो तो कोई इस बात के लिए नहीं तैयार दिखता की महफ़िलों में ना जाय जाय और कोई महफ़िलों से भीड़ से बचने की सलाह देता नज़र आया | किसी ने दुआ बताई किसी अन्य तरीके बताय | 

अब यह तो संभव नहीं की हर की बात सही हो और हर एक की बात मानी भी जाय | ऐसे में हर धर्म का इंसान यह सोंच रहा की क्या किया जाय और क्या न किया जाय ? इस लेख में कोशिश करता हूँ उन मुसलमानो को समझाने की जो धर्म के प्रति अधिक झुके हुए हैं | 

इस्लाम की नज़र में कोई भी काम हो सबसे पहले इस बात का हुक्म है की आप लापरवाही न करें और खुद से कोशिश करें उस समस्या से बचने की और उसके बाद अल्लाह से दुआ करें | केवल मस्जिदों में बैठ के दुआ करने से किसी भी समस्या का हल संभव नहीं | 

 https://www.qummi.com/2020/03/blog-post_18.htmlअल तिर्मिज़ी ने एक रवायत नक़ल की है क़ि एक बार हज़रत मुहम्मद (स) ने देखा की एक खानाबदोश अपने ऊँट को खुला छोड़ के उमरा करने  जा रहा था तो हज़रत ने उस से पुछा भाई क्यों अपने ऊँट को बांधते नहीं या कही चला गया तो क्या करोगे ? उस शख्स का जवाब था मैं जिस खुदा के हम के मुताबिक़ उमरा करने जाए रहा हूँ  वही अल्लाह इसकी हिफाज़त करेगा | मुझे अल्लाह पे भरोसा है | 

हज़रत मुहम्मद (स) ने कहा तुम पहले अपने ऊँट को बाँध के रखो और उसके बाद अल्लाह पे भरोसा रखो वो इसकी हिफाज़त करेगा |  इस से साफ़ है की हज़रत मुहम्मद स ने इस बात को ज़ाहिर किया की पहले तुम खुद सावधानियां करो उसके बाद अल्लाह से दुआ करो तो ही वो मदद करेगा |  ऐसे ही कोरोना वायरस के लिए है की यह हमारी ज़िम्मेदारी है की पहले हम सावधानिया जाने और डॉक्टर जैसे जैसे इस से बचने के लिए कहता है उसे माने और फिर अल्लाह से दुआ करें | यक़ीनन अल्लाह मदगार है वो आपको इस से बचाएगा | 

डॉक्टर यही सलाह दे रहे हैं की कोरोना का शक होते ही उस इंसान को जो  हो चूका है समाज से अलग करो उसे लोगों से माइन जुलने से रोको , हाथ बार बार धोया करो इत्यादि | अब इन मशविरों को भी इस्लाम की नज़र से देखना शुरू किया तो मालूम हुआ की हज़रात मुहम्मद स ने इस बार बार स्वच्छता के बारे में बताया | 

एक बार हज़रत मुहम्मद (स) के समय में महारी प्लेग फैल गयी तो हज़रत ने फ़रमाया जिस गाँव में यह महामारी फैले वहाँ ना जाना और अगर यह महामारी उस इलाक़े में है जहां तुम रहते हो तो उस इलाक़े को छोड़ के दुसरी जगह ना जाना क्यों की ऐसा करने से तुम उसे स्वस्थ  लोगों तक पहुंचा दोगे | 


आज कोरोना के मामले में भी यही सावधानी बतायी जा रही है जिसे हमको सख्ती से मानना चाहिए की आप अगर ऐसे इलाके में हैं जहा यह फैली है तो अन्य इलाक़ों में जहां यह नहीं पहुंची ना जाएँ और दूसरों तक इसके फैलने से रोके और अगर आप ऐसे इलाक़े में हैं जहा लोग स्वस्थ है तो ऐसे इलाक़े से ऐसी महफ़िलों में ना जाएँ जहां से इसके आपको या आपसे दूसरों को लग जाने का खतरा हो | 

हदीस में साफ़ साफ़ लिखा है की हज़रत मुहम्मद स ने फ़रमाया " सफाई ईमान का एक हिस्सा है " सुबह सो के उठते ही सबसे पहले अपने हाथों को धोया करो और रिज़्क़ में इज़ाफ़ा चाहते हो तो खाने के पहले और बाद में हाथों को धोया करो | हदीस में साफ़ साफ़ कहा गया है बेहतर हैं की कोई शख्स पूरे दिन वज़ू से रहे तो वो हज़ारों मुसीबतों से बचेगा | यह वज़ू क्या है ? सिर्फ गन्दगी से दूर रहने स्वछता के साथ अल्लाह की क़ुरबत अख्तियार करने का एक तरीक़ा है | 

इसलिए हम सबको यह समझ लेना चाहिए की अल्लाह और उसके रसूल के बताय रास्ते पे चलते हुए कोरोना जैसे दुश्मन से लड़िये \ पहले खुद इसे फैलने से रोकिये सफाई पे ध्यान दीजे और आवश्यकता पड़ने पे दवाओं का इस्तेमाल करें और उसके साथ साथ अल्लाह से दुआ करें | 

केवल अल्लाह से दुआ करते रहना और इस्लामिक महफ़िलों इत्यादी की भीड़ में चले जाना बिना किसी सावधानी के उचित नहीं और इस्लाम के उसूलों के खिलाफ है | 

...  एस एम् मासूम 



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