नमाज़ क़ौल ऐ मासूमीन (अ.स) के आईने में |
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رسول اكرم صلى الله عليه و آله
لا تَزالُ اُمَّتى بِخَيرٍ ما تَحابّوا وَ اَقامُوا الصَّلاةَ و َآتَوُا الزَكاةَ و َقَروا الضَّيفَ... ؛
لا تَزالُ اُمَّتى بِخَيرٍ ما تَحابّوا وَ اَقامُوا الصَّلاةَ و َآتَوُا الزَكاةَ و َقَروا الضَّيفَ... ؛
1. रसूले अकरम (स.अ.व.व)
हमेशा मेरे उम्मती खैरो बरकत को देखेंगे जब तक की एक दूसरे से मौहब्बत करते रहे, नमाज पढ़ते रहे, जकात देते रहे और मेहमान की इज़्ज़त करते रहे।
(अमाली शेख तूसी पेज न. 647 हदीस न. 1340)
हमेशा मेरे उम्मती खैरो बरकत को देखेंगे जब तक की एक दूसरे से मौहब्बत करते रहे, नमाज पढ़ते रहे, जकात देते रहे और मेहमान की इज़्ज़त करते रहे।
(अमाली शेख तूसी पेज न. 647 हदीस न. 1340)
رسول اكرم صلى الله عليه و آله
الدّعاء مفتاح الرّحمة و الوضوء مفتاح الصّلاة و الصّلاة مفتاح الجنّة
2. रसूले अकरम (स.अ.व.व)
दुआ रहमत की चाबी है। और वुज़ु नमाज़ की चाबी और नमाज़ जन्नत की चाबी है।
(नहजुल फसाहा पेज न. 485 हदीस न. 1588)
दुआ रहमत की चाबी है। और वुज़ु नमाज़ की चाबी और नमाज़ जन्नत की चाबी है।
(नहजुल फसाहा पेज न. 485 हदीस न. 1588)
رسول اكرم صلى الله عليه و آله
أَوَّلُ الْوَقْتِ رِضْوَانُ اللَّهِ وَ آخِرُهُ عَفْوُ اللَّه
أَوَّلُ الْوَقْتِ رِضْوَانُ اللَّهِ وَ آخِرُهُ عَفْوُ اللَّه
3. रसूले अकरम (स.अ.व.व)
अव्वले वक्त मे नमाज़ पढ़ना खुशनूदीऐ खुदा और आखिरे वक्त मे नमाज़ पढ़ना बखशिशे खुदा है।
(मनला यहज़रोहुल फक़ीह जिल्द 1 पेज न. 217 हदीस न. 651)
अव्वले वक्त मे नमाज़ पढ़ना खुशनूदीऐ खुदा और आखिरे वक्त मे नमाज़ पढ़ना बखशिशे खुदा है।
(मनला यहज़रोहुल फक़ीह जिल्द 1 पेज न. 217 हदीस न. 651)
امام على عليه السلام
لَو يَعلَمُ المُصَلّى ما يَغشاهُ مِنَ الرَّحمَةِ لَما رَفَعَ رَأسَهُ مِنَ السُّجودِ
لَو يَعلَمُ المُصَلّى ما يَغشاهُ مِنَ الرَّحمَةِ لَما رَفَعَ رَأسَهُ مِنَ السُّجودِ
4. इमाम अली (अ.स)
अगर नमाज़ पढ़ने वाला जान ले कि नमाज़ पढ़ते वक्त उस पर कितनी रहमते खुदा बरस रही है तो हरगिज़ सजदे से सर नही उठाऐगा।
(गुरारूल हिकम पेज न. 175 हदीस न. 3347)
अगर नमाज़ पढ़ने वाला जान ले कि नमाज़ पढ़ते वक्त उस पर कितनी रहमते खुदा बरस रही है तो हरगिज़ सजदे से सर नही उठाऐगा।
(गुरारूल हिकम पेज न. 175 हदीस न. 3347)
امام على عليه السلام
اُنظُر فيما تُصَلّى و َعَلى ما تُصَلّى اِن لَم يَكُن مِن وَجهِهِ و َحِلِّهِ فَلا قَبولَ
اُنظُر فيما تُصَلّى و َعَلى ما تُصَلّى اِن لَم يَكُن مِن وَجهِهِ و َحِلِّهِ فَلا قَبولَ
5. इमाम अली (अ.स)
देखो कि तुम किस लिबास मे और किस चीज़ पर नमाज़ पढ़ रहे हो अगर हलाल माल से खरीदे हुऐ नही है तो नमाज़ कुबुल नही होगी।
(तोहफुल उक़ूल पेज न. 174)
امام صادق عليه السلام
مَن قَبِلَ اللّه مِنهُ صَلاةً واحِدَةً لَم يُعَذِّبهُ و َمَن قَبِلَ مِنهُ حَسَنَهً لَم يُعَذِّبهُ
مَن قَبِلَ اللّه مِنهُ صَلاةً واحِدَةً لَم يُعَذِّبهُ و َمَن قَبِلَ مِنهُ حَسَنَهً لَم يُعَذِّبهُ
6. इमाम सादिक़ (अ.स)
परवरदिगारे आलम जिस की एक नमाज़ को कुबुल कर लेगा या उसकी एक नेकी को कुबुल कर लेगा तो उसको कभी अज़ाब नही करेगा।
(उसूले काफी जिल्द न. 3 पेज न. 266 हदीस न. 11)
परवरदिगारे आलम जिस की एक नमाज़ को कुबुल कर लेगा या उसकी एक नेकी को कुबुल कर लेगा तो उसको कभी अज़ाब नही करेगा।
(उसूले काफी जिल्द न. 3 पेज न. 266 हदीस न. 11)
امام صادق عليه السلام
يُعرَفُ مَن يَصِفُ الحَقَّ بِثَلاثِ خِصالٍ: يُنظَرُ اِلى اَصحابِهِ مَن هُم؟ و َاِلى صَلاتِهِ كَيفَ هىَ؟ و َفى اَىِّ وَقتٍ يُصَلّيها
يُعرَفُ مَن يَصِفُ الحَقَّ بِثَلاثِ خِصالٍ: يُنظَرُ اِلى اَصحابِهِ مَن هُم؟ و َاِلى صَلاتِهِ كَيفَ هىَ؟ و َفى اَىِّ وَقتٍ يُصَلّيها
7. इमाम सादिक़ (अ.स)
जो शख्स भी अपनी हक्कानियत का दम भरता हो तो उसकी पहचान के तीन तरीक़े हैः
1. देखो कि उसके दोस्त कैसे लोग है।
2. उसकी नमाज़ कैसी है।
3. और वो किस वक्त नमाज़ पढ़ता है।
(महासिन पेज न. 254 हदीस न. 281)
जो शख्स भी अपनी हक्कानियत का दम भरता हो तो उसकी पहचान के तीन तरीक़े हैः
1. देखो कि उसके दोस्त कैसे लोग है।
2. उसकी नमाज़ कैसी है।
3. और वो किस वक्त नमाज़ पढ़ता है।
(महासिन पेज न. 254 हदीस न. 281)
امام صادق علیه السلام
أَقرَبُ ما یَکُونُ العَبدُ إلَی اللهِ وَ هُوَ ساجِدٌ
أَقرَبُ ما یَکُونُ العَبدُ إلَی اللهِ وَ هُوَ ساجِدٌ
8. इमाम सादिक़ (अ.स)
बंदे को परवरदिगार के सबसे ज्यादा नजदीक कर देने वाली हालत, हालते सजदा है।
(उसूले काफी जिल्द 3 पेज न. 324 हदीस 11)
बंदे को परवरदिगार के सबसे ज्यादा नजदीक कर देने वाली हालत, हालते सजदा है।
(उसूले काफी जिल्द 3 पेज न. 324 हदीस 11)
امام صادق علیه السلام
أَثَافِيُّ الْإِسْلَامِ ثَلَاثَةٌ الصَّلَاةُ وَ الزَّكَاةُ وَ الْوَلَايَةُ لَا تَصِحُّ وَاحِدَةٌ مِنْهُنَّ إِلَّا بِصَاحِبَتَيْهَا.
أَثَافِيُّ الْإِسْلَامِ ثَلَاثَةٌ الصَّلَاةُ وَ الزَّكَاةُ وَ الْوَلَايَةُ لَا تَصِحُّ وَاحِدَةٌ مِنْهُنَّ إِلَّا بِصَاحِبَتَيْهَا.
9. इमाम सादिक़ (अ.स)
इस्लाम की बुनयाद तीन चीज़ो पर हैः
1) नमाज़
2) ज़कात
3) और विलायत
और उनमे से कोई एक भी दूसरे के बग़ैर सही नही है।
(काफी जिल्द न. 2 पेज न. 18 हदीस न. 4)
इस्लाम की बुनयाद तीन चीज़ो पर हैः
1) नमाज़
2) ज़कात
3) और विलायत
और उनमे से कोई एक भी दूसरे के बग़ैर सही नही है।
(काफी जिल्द न. 2 पेज न. 18 हदीस न. 4)
امام صادق علیه السلام
اِنَّ مِن تَمامِ الصَّومِ اِعطاءُ الزَّکاةِ یَعنى الفِطرَة کَما اَنَّ الصَّلَاةَ عَلَى النَّبِى (صلی الله علیه و آله و سلم) مِن تَمامِ الصَّلَاةِ
اِنَّ مِن تَمامِ الصَّومِ اِعطاءُ الزَّکاةِ یَعنى الفِطرَة کَما اَنَّ الصَّلَاةَ عَلَى النَّبِى (صلی الله علیه و آله و سلم) مِن تَمامِ الصَّلَاةِ
10. इमाम सादिक़ (अ.स)
रोज़े की तकमील फितरा अदा करना है इसी तरह नमाज़ की तकमील नबी पर सलवात भेजना है।
(मनला यहज़रोहुल फक़ीह जिल्द 2 पेज न. 183 हदीस न. 2085)
रोज़े की तकमील फितरा अदा करना है इसी तरह नमाज़ की तकमील नबी पर सलवात भेजना है।
(मनला यहज़रोहुल फक़ीह जिल्द 2 पेज न. 183 हदीस न. 2085)
امام کاظم علیه السلام
اَفضَلُ ما یَتَقَرَّبُ به العَبدُ اِلی اللهِ بَعدِ المَعرِفَةِ به، الصَلاةُ
اَفضَلُ ما یَتَقَرَّبُ به العَبدُ اِلی اللهِ بَعدِ المَعرِفَةِ به، الصَلاةُ
11. इमाम काज़िम (अ.स)
मारेफते खुदा के बाद अफज़लतरीन चीज़ के जो बंदे को खुदा के क़रीब करती है, नमाज़ है।
(तोहफुल उक़ूल पेज न. 391)
मारेफते खुदा के बाद अफज़लतरीन चीज़ के जो बंदे को खुदा के क़रीब करती है, नमाज़ है।
(तोहफुल उक़ूल पेज न. 391)
امام علی علیه السلام
لِکُلِّ شَیءٍ وَجهٌ وَ وَجهُ دینِکم الصَّلاةُ؛
لِکُلِّ شَیءٍ وَجهٌ وَ وَجهُ دینِکم الصَّلاةُ؛
12. इमाम अली (अ.स)
हर चीज का एक चेहरा है और तुम्हारे दीन का चेहरा नमाज़ है।
(उसूले काफी जिल्द न. 3 पेज न. 270 हदीस न. 16)
हर चीज का एक चेहरा है और तुम्हारे दीन का चेहरा नमाज़ है।
(उसूले काफी जिल्द न. 3 पेज न. 270 हदीस न. 16)
رسول اكرم صلى الله عليه و آله
لا یَنالُ شَفاعَتی مَن اَخَّرَ الصَّلاةَ بَعدَ وَقتِها
لا یَنالُ شَفاعَتی مَن اَخَّرَ الصَّلاةَ بَعدَ وَقتِها
13. रसूले अकरम (स.अ.व.व)
जो शख्स भी नमाज़ को उस वक्त के बाद पढ़ेगा उसे हमारी शफाअत नसीब नही होगी।
(बिहारूल अनवार जिल्द न. 80 पेज न. 20, हदीस न. 35)
जो शख्स भी नमाज़ को उस वक्त के बाद पढ़ेगा उसे हमारी शफाअत नसीब नही होगी।
(बिहारूल अनवार जिल्द न. 80 पेज न. 20, हदीस न. 35)
امام علی علیه السلام
مَن صَلّی رَکعَتَینِ یَعلَمُ مایَقولُ فِیهما اِنصَرَفَ وَ لَیسَ بَینَه وَ بَینَ اللهِ - عَزَّ وَ جَلَّ - ذَنبٌ
مَن صَلّی رَکعَتَینِ یَعلَمُ مایَقولُ فِیهما اِنصَرَفَ وَ لَیسَ بَینَه وَ بَینَ اللهِ - عَزَّ وَ جَلَّ - ذَنبٌ
14. इमाम अली (अ.स)
जो शख्स भी दो रकअत नमाज़ इस हाल मे पढ़े कि जानता हो (और समझता हो) कि क्या कह रहा है। और इसी हाल मे नमाज़ को खत्म करे तो उसके और खुदा के दरमियान कोई गुनाह बाकि नही है।
(यानी उसके तमाम गुनाह जो खुदा से ताल्लुक़ रखते थे माफ कर दिये गऐ।)
(मकारिमुल अखलाक़ पेज न. 300)
जो शख्स भी दो रकअत नमाज़ इस हाल मे पढ़े कि जानता हो (और समझता हो) कि क्या कह रहा है। और इसी हाल मे नमाज़ को खत्म करे तो उसके और खुदा के दरमियान कोई गुनाह बाकि नही है।
(यानी उसके तमाम गुनाह जो खुदा से ताल्लुक़ रखते थे माफ कर दिये गऐ।)
(मकारिमुल अखलाक़ पेज न. 300)
امام صادق علیه السلام
لا یَنالُ شَفاعَتَنا مَن استَخَفَّ بِالصَّلاة
لا یَنالُ شَفاعَتَنا مَن استَخَفَّ بِالصَّلاة
15. इमाम सादिक़ (अ.स)
जिसने नमाज़ को हल्का समझा उसे हमारी शिफाअत नसीब नही होगी।
(उसूले काफी जिल्द 3 पेज न. 270, हदीस न. 15)
जिसने नमाज़ को हल्का समझा उसे हमारी शिफाअत नसीब नही होगी।
(उसूले काफी जिल्द 3 पेज न. 270, हदीस न. 15)
امام علی علیه السلام
الصَّلاةُ حِصنٌ مِن سَطَواتِ الشَّیطانِ
الصَّلاةُ حِصنٌ مِن سَطَواتِ الشَّیطانِ
16. इमाम अली (अ.स)
नमाज़ एक मज़बूत किला है कि जो बंदे को शैतान के हमलो से बचाता है।
(गुरारूल हिकम पेज. न. 175 हदीस न. 3343)
नमाज़ एक मज़बूत किला है कि जो बंदे को शैतान के हमलो से बचाता है।
(गुरारूल हिकम पेज. न. 175 हदीस न. 3343)
حضرت زهرا سلام الله علیها
فَجَعلَ اللهُ الایمانَ تَطهیراً لَکم مِنَ الشِّرکِ ، وَ الصَّلاةَ تَنزیهاً لَکم عَن الکِبرِ
فَجَعلَ اللهُ الایمانَ تَطهیراً لَکم مِنَ الشِّرکِ ، وَ الصَّلاةَ تَنزیهاً لَکم عَن الکِبرِ
17. जनाबे फातेमा ज़हरा (सलामुल्लाहे अलैहा)
खुदा वंदे आलम ने ईमान को शिर्क से पाकीज़गी और नमाज़ को तकब्बुर से दूर रखने के लिऐ करार दिया है।
(अहतेजाजे तबरसी जिल्द न. 1 पेज न. 99)
खुदा वंदे आलम ने ईमान को शिर्क से पाकीज़गी और नमाज़ को तकब्बुर से दूर रखने के लिऐ करार दिया है।
(अहतेजाजे तबरसी जिल्द न. 1 पेज न. 99)
پیامبراکرم صلی الله علیه و آله
اَحَبُّ الاعمالِ اِلَی اللهِ الصَّلاةُ لِوَقتِها ثُمَّ بِرُّ الوالِدَین ثُمَّ الجِهادُ فی سَبیلِ اللهِ
اَحَبُّ الاعمالِ اِلَی اللهِ الصَّلاةُ لِوَقتِها ثُمَّ بِرُّ الوالِدَین ثُمَّ الجِهادُ فی سَبیلِ اللهِ
18. रसूले अकरम (स.अ.व.व)
खुदा वंदे आलम के नज़दीक सबसे महबूब तरीन अमल नमाज़ को उसके वक्त पर पढ़ना है उसके बाद माँ-बाप से नेकी करना और खुदा की राह मे जंग करना है।
(नहजुल फसाहा, पेज न. 167, हदीस न. 70)
खुदा वंदे आलम के नज़दीक सबसे महबूब तरीन अमल नमाज़ को उसके वक्त पर पढ़ना है उसके बाद माँ-बाप से नेकी करना और खुदा की राह मे जंग करना है।
(नहजुल फसाहा, पेज न. 167, हदीस न. 70)