क़दम ऐ रसूल (स) के निशानात की हकीकत |

मान्यता है कि कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब जब पहाड़ों पर चलते थे तो उनके पैरों के निशान शिला पर अंकित हो जाते थे। आज भारत में ऐसे अनगि...



मान्यता है कि कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब जब पहाड़ों पर चलते थे तो उनके पैरों के निशान शिला पर अंकित हो जाते थे। आज भारत में ऐसे अनगिनत क़दम ऐ रसूल के निशानात आपको मिलेंगे जिनमे से अधिकतर बादशाओं और उनसे जुड़े लोगों की क़ब्र पे लगे हुए हैं और बहुत से मस्जिदों और इमामबाड़ों में हैं और बहुत से म्यूजियम में मौजूद है | 


हमजापुर क़दम ऐ रसूल  
इन निशानात में से बहुत से वास्तविक हैं कुछ उनकी नक़ल जिसकी पहचान आसानी से की जा सकती है | जौनपुर  में भी नौ से अधिक जगहों पे क़दम ऐ रसूल मिलते हैं जिनमे से शाह का पंजा , हमजापुर ,बाग़  ऐ हाशिम इत्यादि बहुत मशहूर है | 
हम्ज़ा पुर जौनपुर मौला अली के दस्त के निशानात 

हमजा पुर में तो क़दम ऐ रसूल (स.ा.व) के साथ साथ मौला अली (ा.स) के हाथ के निशानात भी मौजूद हैं जिन्हे किसी भी समय देखा जा सकता है और यह भी मशहूर है की वहाँ पे मुरादें बहुत पूरी हुआ करती हैं | 

इन मान्यताओं पे विश्वास कितना किया जाय इस विषय पे बहस का अंत इसी बात से हो जाता है की विश्वास करना हो तो इतना ही काफी है की पूरी दुनिया में यह अनगिनत मौजूद हैं और अधिकतर बादशाहों की क़ब्रों पे हैं  और जिनका यह विश्वास है की हज़रत मुहम्मद (स) जब  पथ्थर पे चलते थे तो उनके निशाँ अक्सर पड़ा करते थे उनके लिए इस पे विश्वास ना करने का कोई कारण  नहीं और जो नहीं मानते उनके लिए विश्वास करना मुश्किल ही होगा | इस विश्वास या अविश्वास से हज़रत मुहम्मद (स) की फ़ज़ीलत पे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता | 


क़दम ऐ रसूल बहराइच , सालार मसूद गाज़ी की क़ब्र पे 
क़दम ऐ रसूल दिल्ली म्यूजियम 


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