दूसरों से मश्विरा लेना ईमान की पहचान |

क़ुरान मजीद सुरए शूरा में अल्लाह फरमाता है इमान वाले वो हैं जो नमाज़ क़ायम करते हैं अपने रब की पुकार का जवाब देते हैं ,नमाज़ क़ाएम कर...




क़ुरान मजीद सुरए शूरा में अल्लाह फरमाता है इमान वाले वो हैं जो नमाज़ क़ायम करते हैं अपने रब की पुकार का जवाब देते हैं ,नमाज़ क़ाएम करते हैं और अपने काम एक दुसरे से मश्विरे के साथ अंजाम देते हैं और इसके लिए समाज के उन लोगों से राब्ता क़ाएम रखते है जिनके पास अक़्ल हो और इल्म हो| 

लेकिन मशविरे के लिए अली (ा.स) फरमाते हैं की तीन तरह के  लोग मश्विरे  के योग्य नहीं हैं। वे कहते हैं कि कंजूस से मश्विरा  न करो कि वह तुम्हें भलाई से रोक देगा और गरीबी  से डराएगा। डरपोक से भी मश्विरा  न करो कि वह कार्यों को अंजाम देने के संबंध में तुम्हारे उत्साह को ठंडा कर देगा और लालची  से भी सलाह मत लो कि वह तुम्हारी नज़रों में लोभ को अच्छा बनाकर पेश करने की कोशिश करेगा। 

इसी लिए मोमिन की पहचान यही है की वे अपने काम एक दुसरे से मश्विरे के साथ अंजाम देते हैं और इसके लिए समाज के उन लोगों से राब्ता क़ाएम रखते है जिनके पास अक़्ल हो इल्म हो और सामाजिक बेहयाई और बेशर्मी न हो | 


इतिहास की किताबों में वर्णित है कि एक बार ईश्वर के महान फ़रिश्ते हज़रत जिब्रईल हज़रत सुलैमान पैग़म्बर के पास आए तो अमृत का एक प्याला लाए और कहने लगेः महान ईश्वर ने आपको यह अधिकार दिया है कि अगर आप इस प्याल को पी लें तो प्रलय तक जीवित रहेंगे, अब चयन आपको करना है। हज़रत सुलैमान ने अपने निकटवर्ती लोगों, जिन्नों और अन्य जीवों से इस बारे में सलाह मांगी। सभी ने कहा कि आपको यह प्याला पी लेना चाहिए ताकि आप अमर हो जाएं। हज़रत सुलैमान ने सोचा कि कहीं कोई ऐसा तो नहीं रह गया है जिससे उन्होंने सलाह न मांगी हो? फिर उन्हें याद आया कि साही से उन्होंने उसकी राय नहीं पूछी है। उसे हज़रत सुलैमान के पास लाया गया। उन्होंने उसे बताया कि उन्हें अमृत का एक प्याला और यह अधिकार दिया गया है कि अगर वे चाहें तो उसे पी लें और चाहें तो न पियें। सभी ने अपना विचार बता दिया है, तुम क्या कहते हो? साही ने पूछा कि यह प्याला आप अकेले पियेंगे या अपनी बच्चों व दोस्तों के साथ पियेंगे। उन्होंने जवाब दिया कि इसे केवल मुझे दिया गया है। साही ने कहा कि फिर बेहतर यह है कि आप इसे न पियें। हज़रत सुलैमान ने पूछा कि क्यों? साही ने जवाब दिया। इस लिए कि जब आपका जीवन लम्बा हो जाएगा तो आपके सभी मित्र, पत्नी और बच्चे आपके सामने मर जाएंगे। आप उन सभी का शोक मनाएंगे और जब आपके परिजन और दोस्त आपके साथ न हों तो ऐसे जीवन का क्या फ़ायदा? हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम को उसका विचार पसंद आया और उन्होंने अमृत का वह प्याला लौटा दिया।

ईमान वाले वही लोग हैं जो जब भी कोई काम करना चाहते हैं तो एक दूसरे से परामर्श करते हैं। वे सबसे अच्छे चयन पर बहुत अधिक ध्यान देते हैं और इसके लिए बुद्धि वालों से संपर्क करते हैं।


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