ध्यान से सोंचिये आज रात शब् ऐ क़द्र कैसे गुज़ारी ?
आज शब् ऐ क़द्र की २३ रमज़ान थी | ध्यान से सोंचिये क्या आज रात भर हमने :- १. किसी इंसान का दिल दुखाया ? २. क्या किसी की ग़ीबत की ? ३....
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१. किसी इंसान का दिल दुखाया ?
२. क्या किसी की ग़ीबत की ?
३.क्या पूरी रात सो के गुज़ारी ?
४. क्या रियाकारी इबादतों की करते रहे ?
अगर हाँ तो कोई बात नहीं जब चार लोग जमा होते हैं तो ऐसा हो जाता है लेकिन एहसास अगर हम सबको इस बात का हो गया की इनमे से या और कोई गुनाह हमने अंजाम दे दिया है तो खुद को बदल लें अभी भी माह ऐ रमज़ान की २५-२७ -२९ बाक़ी है | इस्तेग़फ़ार करें और सभी से माफी मांग ले | क्यों की माह ऐ रमज़ान शब् ऐ क़द्र अल्लाह पूरे साल की तक़दीर आपकी इस रात की नेकियों और गुनाहों के हिसाब से ही लिखता है |
हदीस में है की अगर आप कहीं किसी को गुनाह करते देख तो उसे बयान करने से पहले खुद को एक बार ज़रूर देखें और पहले अपनी कमियों को दूर करें |
याद रहे यह नाराज़गी किसी भाई से या हसद की वजह से आये एहसासात जो गुनाह की वजह बनते हैं वक़्ती हुआ करते हैं | आप का किरदार आपका एख़लाक़ नाराज़ लोगों को भी सोंचने पे मजबूर कर देता है |
आज २३ रमज़ान लोगों से मिलिए तो ख़ुलूस और मुहब्बत से मिलिए सभी शिकवे और नाराज़गी भूल के | इंशाल्लाह अल्लाह आपकी खताओं को माफ़ करेगा | आमीन
.....एस एम् मासूम