शिया मुसलमानों को कब से शिया कहा जाता है?
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.) को मानने वालों, आपको पैग़म्बर के दूसरे सहाबा से श्रेष्ठ स्वीकार करने और आपसे प्यार करने वाले मुसलमानो...
https://www.qummi.com/2017/08/blog-post_65.html
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.) को मानने वालों, आपको पैग़म्बर के दूसरे सहाबा से श्रेष्ठ स्वीकार करने और आपसे प्यार करने वाले मुसलमानों को शिया कहे जाने का इतिहास बहुत पुराना है इसका सम्बंध पैग़म्बरे इस्लाम स. के ज़माने से है। शिया व सुन्नी मुहद्देसीन ने पैग़म्बर से जो हदीसें इस बारे में बयान की हैं उनसे स्पष्ट रूप से यह पता चलता है कि हज़रत अली अ. के अनुगामी और चाहने वालों को स्वंय रसूले इस्लाम स. ने शिया कहा है|
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ.) को मानने वालों, आपको पैग़म्बर के दूसरे सहाबा से श्रेष्ठ स्वीकार करने और आपसे प्यार करने वाले मुसलमानों को शिया कहे जाने का इतिहास बहुत पुराना है इसका सम्बंध पैग़म्बरे इस्लाम स. के ज़माने से है। शिया व सुन्नी मुहद्देसीन ने पैग़म्बर से जो हदीसें इस बारे में बयान की हैं उनसे स्पष्ट रूप से यह पता चलता है कि हज़रत अली अ. के अनुगामी और चाहने वालों को स्वंय रसूले इस्लाम स. ने शिया कहा है, जलालुद्दीन सिव्ती ने आयत
ان الذين آمنوا و عملوا الصالحات اولئك هم خير البريّة (सूरा-ए-बय्यनः आयत नम्बर 7)
की व्याख्या में जाबिर इब्ने अब्दुल्लाहे अंसारी और अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास से पैग़म्बरे अकरम स. की कुछ हदीसे बयान की हैं कि आपने हज़रत अली अ. की ओर इशारा करके फ़रमायाः यह और उनके शिया क़यामत के दिन कामयाब होंगे। (अद्दुर्रुल मनसूर भाग 8 पृष्ठ 538)
والذى نفسى بيده انّ هذا و شيعته هم الفائزون يوم القيامة
इब्ने असीर ने हज़रत रसूले इस्लाम (स.) से हदीस बयान की है कि उन्होंने हज़रत अली अ. को सम्बोधित करके कहाः ستقدّم على اللّه
انت و شيعتك راضين مرضيين، و يقدم عليه عدوّك غضبانا مقمحين
तुम और तुम्हारे शिया क़यामत के दिन अल्लाह की बारगाह में इस हालत में जाओगे कि अल्लाह तआला तुमसे संतुष्ट और तुम अल्लाह से संतुष्ट और तुम्हारे दुश्मन क़यामत के दिन दुख व लज्जा के साथ अल्लाह की बारगाह में उपस्थित होंगे। (अन-निहायः भाग 4 पृष्ठ 106 ) ऐसी ही रिवायत शबलंजी ने भी अपनी किताब नूरुल-अबसार में बयान की है। (नूरुल अबसार पृष्ठ 159)
सिव्ती ने एक और रिवायत इब्ने मुर्दवैह के माध्यम से हज़रत अली अ. के हवाले से बयान की है कि पैग़म्बरे अकरम स. ने हज़रत अली अ. से फ़रमायाः इस आयत
انّ الذين آمنوا و عملوا الصالحات اولئك هم خير البريّة
से मुराद तुम और तुम्हारे शिया हैं। मेरे और तुम्हारे वादे की जगह हौज़े कौसर है जब उम्मतें हिसाब किताब के लिए लाई जाएंगी और तुम ख़ुश और कामयाब होगे। (अद्दुर्रुल मनसूर भाग 8 पृष्ठ 538)
انت و شيعتك و موعدي و موعدكم الحوض اذا جاءك الامم للحساب تدعون غرّا محجّلين
इब्ने हजर ने उम्मे सलमा के हवाले से बयान किया है कि उम्मे सलमा ने कहाः रसूले अकरम स. मेरे पास थे, हज़रत फ़ातिमा ज़हरा अ. और उनके बाद हज़रत अली अ. पैग़म्बर की सेवा में आए पैग़म्बर ने हज़रत अली से सम्बोधित होकर कहाः
يا علي انت و اصحابك في الجنّة، انت و شيعتك في الجنّة
ऐ अली तुम और तुम्हारे शिया और अस्हाब जन्नत में जाओगे। (अस्सवाएक़ुल मोहरेक़ा पृष्ठ 161)
ख़तीबे ख़्वारज़मी अपनी किताब अल-मनाक़िब में हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अ. के हवाले से बयान करते हैं कि जब रसूले इस्लाम स. को मेराज हुई और आप जन्नत में गए तो वहाँ आपने एक पेड़ देखा जिसे तरह तरह की आभूषणों से सजाया गया था। पैग़म्बर स. ने जिबरईल से सवाल किया कि यह पेड़ किसके लिए है जिबरईल ने जवाब दियाः आपके चचेरे भाई अली इब्ने अबी तालिब की प्रापर्टी है। जब अल्लाह जन्नतियों को जन्नत में लाएगा तो अली के शिया को इस पेड़ के निकट लाया जाएगा और वह लोग इस पेड़ की बरकतों से फ़ायदा उठाएंगे उस समय कोई आवाज़ देगा कि यह लोग अली इब्ने अबी तालिब अ. के शिया हैं उन्होंने दुनिया में दुखों पर सब्र किया था अब उसके बदले में उन्हें यह उपहार दिए गए हैं। (अल-मनाक़िब अध्याय 6, पृष्ठ 73 हदीस नम्बर 52)
उन्होंने दूसरे स्थान पर जाबिर से रिवायत की है कि हम लोग पैग़म्बर की सेवा में उपस्थित थे कि इतने में अली अ. आते हैं पैग़म्बर स. ने हम लोगों को सम्बोधित करके कहाः (أتاكم اخى) फिर काबे की ओर मुड़ कर फ़रमायाः
ان هذا و شيعته هم الفائزون يوم القيامة
अल्लाह की क़सम यह (अली) और उनके मानने वाले ही क़यामत के दिन कामयाब होने वाले हैं। (पिछला रीफ़्रेंस नवाँ अध्याय पृष्ठ 111 हदीस नम्बर 120) अहले सुन्नत की किताबों में इस सिलसिले में दूसरी रिवायतें भी मौजूद हैं जिन्हें यहां बयान करने का अवसर नहीं है। जो हदीसे हमने बयान की हैं वहीं हमारे दावे को सिद्ध करने के लिए काफ़ी हैं। (तारीख़ुश्शिया पृष्ठ 4-8 , बुहूसुन फ़िल मेलले वन्नहेल भाग 6 पृष्ठ 102-106)
उल्लिखित हदीसों से यह स्पष्ट हो जाता है कि अली अ. के चाहने वालों और उनका अनुसरण करने वालों को सबसे पहले पैग़म्बर अकरम स. ने ही शिया कहा है। चूँकि यह परिभाषा इस्लामी पैग़म्बर के ज़माने में प्रसिद्ध हो चुकी थी इसलिए पैग़म्बर के बाद भी प्रचारित रही। इसीलिए मसऊदी ने सक़ीफ़ा से सम्बंधित घटनाओं का उल्लेख करते हुए लिखा है कि सक़ीफ़ा में अबू बक्र की बैअत का मामला ख़त्म होने के बाद इमाम अली अ. और आपके कुछ शिया उनके घर में जमा हो गए। (इस्बातुल वसीयः पृष्ठ 121)
अमीरूल मोमिनीन हज़रत अली (अ.) जमल की जंग के बारे में फ़रमाते हैः जमल वालों ने बसरा में मेरे शियों पर हमला कर दिया कुछ को छल कपट से शहीद कर दिया और कुछ उनके साथ मुक़ाबले के लिए उठ खड़े हुए। और अनंततः शहीद हो गए।
(नह्जुल-बलागः ख़ुत्बा नम्बर 218) وثبوا على شيعتي، فقتلوا طائفة منهم غدراً، و طائفة عضّوا على اسيافهم، فضاربوا بها حتّى لقوا اللّه صادقين
