ज्ञानी के साथ बैठने की अहमियत |

हज़रत रसूले ख़ुदा (स.) के पास एक व्यक्ति अन्सार (वह लोग जिन्होंने रसूल के मदीने में आने के बाद आपकी सहायता की थी और वह लोग मदीने के र...



हज़रत रसूले ख़ुदा (स.) के पास एक व्यक्ति अन्सार (वह लोग जिन्होंने रसूल के मदीने में आने के बाद आपकी सहायता की थी और वह लोग मदीने के रहने वाले ते) में से आया और उसने प्रश्न किया, हे अल्लाह के रसूल अगर किसी का मृत्य शहीह  दफ़नाए जाने के लिए तैयार हो और दूसरी तरफ़ इल्मी बैठक हो जिसमें जाने से कुछ ज्ञानिक लाभ  हो और दोनों एक ही समय पर हों और समय भी इतना न हो कि दोनों जगह जाया जा सके। इन्सान केवल एक ही स्थान पर जा सकता हो तो ऐसी स्थिति में हे अल्लाह के रसूल (स.) आप किस स्थान पर जाना पसन्द करेंगे ताकि मैं भी आपका अनुसरण करते हुए वहीं जाऊँ
 https://www.facebook.com/smmasoomjaunpur/
अल्लाह के रसूल (स.) ने फ़रमाया, अगर कुछ दूसरे ऐसे लोग हो जो उस मृतक को दफ़ना सकते हो तो तुम उस इल्मी बैठक में जाओ क्योंकि एक इल्मी बैठक में जाना हज़ार जनाज़ों में जाने, हज़ार बीमारों की अयादत करने, हज़ार दिन की इबादत, हज़ार दिन के रोज़े, हज़ार दिन का सदका, हज़ार गै़र वाजिब हज, और हज़ार गै़र वाजिब जिहाद से बेहतर है।
उसने कहा, या रसूल अल्लाह (स.) ये सब चीज़ें कहाँ और आलिम की ख़िदमत में हाज़िरी कहाँ? (यानी उसकी निगाह में यह सब चीज़ें एक आलिम एवं विद्रानी से अधिक उच्च थी)

रसूले ख़ुदा (स.) ने फरमाया, क्या तुम्हें नहीं पता कि यह ज्ञान ही है जिसके माध्यम से ख़ुदा की अराधना और उसकी इबादत की जाती है । दुनिया और आख़िरत की भलाई इल्म से ही है उसी प्रकार जैसे कि दुनिया और आख़ेरत की बुराई जिहालत और अज्ञानता में है।


Related

islamic teachings 4175036980528211038

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

इधर उधर से

Comment

Recent

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Admin

item