आवश्यक्ता के समय नसरानी को सदका देना जाइज़ है
हज़रत इमाम जाफ़रे सादिक अलैहिस्सलाम पवित्र शहर मक्का और मदीना के बीच के रास्ते में थे। आप का मशहूर दास मसादफ़ भी आप के साथ था यह लोग...


उसने जवाब दिया, जी हाँ में प्यासा हूं ।
इमाम (अ.) ने मसादफ़ से फ़रमाया, इस व्यक्ति को पानी पिला दो, मसादफ़ ने उस व्यक्ति को पानी पिलाया लेकिन उसके कपड़े चाल ठाल और चेहरे से पता चल रहा था कि मुसलमान नहीं ईसाई है ।
जिस समय इमाम (स) और मसदक़ा उसको पानी पिलाकर आगे बढ़ गए तो मसादफ़ ने इमाम जाफ़र सादिक से पूछा
ऐ रसूल के बेटे क्या नसरानी को सदका देना जाइज़ (सही) है?
इमाम जाफ़र सादिक (अ.) ने फ़रमाया, हाँ, आवश्यक्ता के समय नसरानी को सदका देना जाइज़ है, जैसे इस समय।
