सोशल मीडिया पे कुरान भेजना सही या हराम ?

इस्लाम का एक कानून है कि नेकी जितना हो लोगों तक पहुँचाओ उसे जिंदा रखो और बुराई जितना संभव हो दबाव और उसे बढ़ने से रोकते रहो | इसी का...



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इस्लाम का एक कानून है कि नेकी जितना हो लोगों तक पहुँचाओ उसे जिंदा रखो और बुराई जितना संभव हो दबाव और उसे बढ़ने से रोकते रहो | इसी कानून को ध्यान में रखते हुयी आज जो इस्लाम की मशहूर हस्तियाँ है उनके रौज़े बनाया जाते हैं और जो इस्लाम के याद रखने वाले ,इबरत देने वाले वाकये हैं उनकी निशानियों की हिफाज़त की जाती रही है |

दुश्मन ऐ इस्लाम का यह तरीका रहा है की इस्लाम की निशानियों को मिटाते रहो और मशहूर हस्तियों नबियों पैगम्बरों और इमाम की निशानियों को रौज़े को ख़त्म करते रहो जिस से एक दिन इस्लाम धर्म से इनकार करने में या लोगों को शक पैदा करके गुमराह करने में आसानी हो जाय |

इसी सिलसिले में रौज़े बनाना हमारा दे दिया गया , आतकवाद को जिहाद का दर्जा दया जाने लगा और इस्लामिः इतिहास की दलील बने जो मकामात थी जैसे जन्नतुल बाकी इत्यादि उसे मिटा दिया गया | 

जब से सोशल मीडिया की अह्मियात लोगों को पता चली और इस्पे आम इंसानों की पकड़ मज़बूत होने लगी और लोगों ने अहादीस और कुरान लोगों तक पहुंचाना शुरू किया तो इस्लाम के दुश्मनों को इस से ख़तरा महसूस होने लगा और उन्होंने एक नया फितना शुरू किया की कुरान व्हात्सप्प इत्यादि पे न भेजो क्यूँ की उसे डिलीट किया जाता है और कुरान ने इसे क़यामत की निशानियों में से बताया है | जब की उनका यह मानना मुकम्मल तौर पे गलत है और सिर्फ गुमराह करने वाला है क्यूँ की कुरान आज किताब की शक्ल में आता है और उस किताब को भी एक दिन पुरानी होने पे दरया में बहा दिया जाता है या मिटटी में दफन कर दिया जाता है और आप कह सकते हैं की डिलीट कर दिया या मिटा दिया जाता है |

दुनिया में कोई चीज़ ऐसे नहीं जो एक तय वक़्त के बाद डिलीट या मिट ना जाय इसलिए यह सिर्फ मुसलमानों को गुमराह करने के लिए है और कुरान लोगों तक न पहुँच पाय इसकी कोशिश भर ही है |

कुरान और अहादीस को भेजना सोशल मीडिया की सहायता से एक नेक अमल है और इस से इस्लाम की तबलीग होती है जिसका बहुत ही ज्यादा सवाब है |

अब जब बात सोशल मीडिया की और उसके द्वारा अहादीस और कुरान भेजने की आ गयी है तो यह भी कहता चलूँ जो भी आप पढ़ें अहादीस या कुरान तो सबसे पहले उसकी तस्दीक करें की सही है या नहीं और इसके बाद खुद के जीवन में उसे उतारने की कोशिश करें और फिर ऐसी नेक बात दूसरों तक भी पहुंचाएं ,तब तो यह नेक अमल  हुआ और इसका सवाब बहुत ही ज्यादा मिलेगा | लेकिन जैसा की अधिकतर होता है अहादीस या कुरान कहीं से आये तो लोग बिना  सही या गलत की तस्दीक किये हुए और बहुत बार तो बिना पूरा पढ़े इस नीयत से कि उसे  भेजना सवाब है दूसरों तक भेज देते हैं या कह ले की ऐसा ऐसा ज़ाहिर करते हैं की कुरान या अह्दीस उनके लिए नहीं औरों के लिए है जैसे की मौत के बारे लोग गफलत में रहते हैं और उनके दुनयावी काम यह बताते हैं की मौत औरों के लिए हैं लेकिन उनके लिए नहीं है |

कुरान या अहादीस पहले जब भी कहीं से मिले पहले उसकी तस्दीक करें की सही है या गलत फिर उसे अपने जीवन में उतारें उसे पढ़ें समझें और उसके बाद उसे दूसरों तक फॉरवर्ड करें और यकीन जानिए अल्लाह इसका सिला आपको जन्नत में आला मक़ाम दे के चुकायगा | वरना ज्यादा अंदेशा यही है की सिवाय गुनाह के कुछ हाथ नहीं आयगा |

दुशमन ऐ इस्लाम यह साबित करने पे लगा है की इस्लाम आतंकवादियों का धर्म है जो की झूट है जिसकी होमायत न कुरान करती है और न मुसलमान इसलिए लोगों को बताते रहो अपनी किरदार से और अपनी किताब कुरान से की इस्लाम इंसानियत का मज हब है ,भाईचारे का मज़हब है और आतंकवाद जो जहन्नम का सीधा रास्ता मानता है |



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