मुसलमानों को लगा आजादी का नशा |
इस्लाम में नशा कोई भी हो हराम है या कह दें मना है | अक्सर लोग पूछते हैं क्या सिगरेट भी मना है क्या तम्बाकू और गुटका भी मना है ? भाई जिस ...
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इस्लाम में नशा कोई भी हो हराम है या कह दें मना है | अक्सर लोग पूछते हैं क्या
सिगरेट भी मना है क्या तम्बाकू और गुटका भी मना है ? भाई जिस चीज़ से नशा हो या
इंसान के शरीर के लिए जान के लिए घातक हो वो सब हराम है या मना है |
अल्लाह ने हमें बनाया और हमारी हिदायत के लिए समय समय पे आसमानी किताबें भेजी और उसे हमें समझाने के लिए उनपे चल के दिखाने के लिए नबी ,रसूल और इमाम भेजे| जिनमे से आखिरी किताब कुरान थी और आखिर नबी हजरत मुहम्मद (स.अ.व). हजरत मुहम्मद (स.अ.व) जाते समय कह गए मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे बीच कुरान और अह्लेबय्त (हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घर वाले ) छोड़े जा रहा हूँ | इनका दामन पकडे रहना ,कभी गुमराह नहीं होगे |
और अब तो मुसलमानों को देख के लगता है की उन्होंने अल्लाह और कुरान से भी आजादी पाने की कोशिश शुरू कर दी है | कोई बे हिजाब हुआ जा रहा है तो कोई जालिमो का साथ दे रहा है तो कोई जादू टोन के चक्कर में मुल्ला पंडित के दर पे खड़ा है तो कोई डिस्को में लगा है | इनमे से जो इन्तहा पसंद हैं वो आतंकवाद फैला रहे हैं और बे गुनाहों की जान लेने को इस्लाम बता रहे हैं | यह और बात है की यह बिमारी आज धर्म वालों को लगी है और वो अब धर्म को और उसके उसूलों को बहुत अधिक अहमियत नहीं देते बल्कि जब परेशान होते हैं तब मथ्था टेकने चले जाते हैं |
जब हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की वफात हो गयी तो अधिकतर मुसलमानों ने सबसे पहले अह्लेबय्त (हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घर वाले ) से आज़ादी ले ली और जब अह्लेबय्त ने कुरान दिखाई , हजरत मुहमद (स.अ.व) की हदीस दिखाई तो उनपे ज़ुल्म किया और कहने लगे कुरान काफी है और ऐसा कह के हजरत मुहम्मद (स.अ.व) से भी खुद को आज़ाद कर लिया | यहीं से फिरके बनने शुरू हो गए किसी ने अह्लेबय्त से आज़ादी ली वो अलग फिरका किसी ने अह्लेबय्त से तो आज़ादी ली लेकिन हजरत मुहम्मद (स.अ.व) का दमन पकडे रहे वो अलग फिरका लेकिन वो फिरका जिसने हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की अहादीस को वैसे माना जैसा उनका हुक्म था और न अह्लेबय्त का दम छोड़ा , न हजरत मुहम्मद (स.अ.व) का दमन छोड़ा और कुरान पे वैसे चले जैसे अह्लेबय्त ने चल के दिखाया वो सही राह पे रहे क्यों की अल्लाह सूरा ए रूम में फरमाता है जो लोग अपनी इच्छाओं या दूसरे कारणों से अल्लाह और रसूल पर सबक़त करते हैं उनके पास ईमान और तक़वा नही है।
आज भी वो मुसलमान जिसने अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों का साथ नहीं छोड़ा दहशतगर्दी में कभी शरीक नहीं मिलते बल्कि दहशतगर्दी और आतंकवाद का शिकार हो जाया करते हैं | यह दो बातें साबिक करता है की इस्लाम का सही पैग़ाम अमन और शांति है जो अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों का साथ पकड़ने वालों का पैग़ाम है और दुसरे यह की अल्लाह का सही पैग़ाम देने वालों पे हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की हदीस पे वैसे अमल करने वालों पे जैसा उन्होंने कहा था ,पहले भी ज़ुल्म हुआ और आज भी वही ज़ुल्म का शिकार होते है |
यह ज़ुल्म वही करते हैं जो खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों से आजादी ले चुके हैं | आपने सुना होगा की ऐसे भी मुसलमान हैं जो हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की निशानियों को मक्का और मदीने में भी मिटा रहे हैं और आपने यह भी सुना होगा की हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घराने पे ज़ुल्म हुआ कभी उनकी बेटी फातिमा (स.अ.व) का घर जला, कभी कर्बला में उनके नवासे इमाम हुसैन (अ.स) का क़त्ल हुआ | यह भी एक फिरका है जो कल भी ज़ालिम था आज भी ज़ालिम है | और आपने यह भी देखा होगा की एक फिरका ऐसा है जो हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घराने पे हुए ज़ुल्म पे आंसू बहता है , उसके खिलाफ आवाज़ उठता है |यह काभी दहशत गर्द नहीं होता क्यूँ की यह असल इस्लाम को मानता है जहां दहशतगर्दी हराम है और ऐसा गुनाह है जो कभी माफ़ नहीं होता |
यह आज़ादी भी एक नशा है जो हराम है क्यूँ की यह गुमराही का एक बड़ा कारण है |
अल्लाह ने हमें बनाया और हमारी हिदायत के लिए समय समय पे आसमानी किताबें भेजी और उसे हमें समझाने के लिए उनपे चल के दिखाने के लिए नबी ,रसूल और इमाम भेजे| जिनमे से आखिरी किताब कुरान थी और आखिर नबी हजरत मुहम्मद (स.अ.व). हजरत मुहम्मद (स.अ.व) जाते समय कह गए मैं जा रहा हूँ और तुम्हारे बीच कुरान और अह्लेबय्त (हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घर वाले ) छोड़े जा रहा हूँ | इनका दामन पकडे रहना ,कभी गुमराह नहीं होगे |
और अब तो मुसलमानों को देख के लगता है की उन्होंने अल्लाह और कुरान से भी आजादी पाने की कोशिश शुरू कर दी है | कोई बे हिजाब हुआ जा रहा है तो कोई जालिमो का साथ दे रहा है तो कोई जादू टोन के चक्कर में मुल्ला पंडित के दर पे खड़ा है तो कोई डिस्को में लगा है | इनमे से जो इन्तहा पसंद हैं वो आतंकवाद फैला रहे हैं और बे गुनाहों की जान लेने को इस्लाम बता रहे हैं | यह और बात है की यह बिमारी आज धर्म वालों को लगी है और वो अब धर्म को और उसके उसूलों को बहुत अधिक अहमियत नहीं देते बल्कि जब परेशान होते हैं तब मथ्था टेकने चले जाते हैं |
जब हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की वफात हो गयी तो अधिकतर मुसलमानों ने सबसे पहले अह्लेबय्त (हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घर वाले ) से आज़ादी ले ली और जब अह्लेबय्त ने कुरान दिखाई , हजरत मुहमद (स.अ.व) की हदीस दिखाई तो उनपे ज़ुल्म किया और कहने लगे कुरान काफी है और ऐसा कह के हजरत मुहम्मद (स.अ.व) से भी खुद को आज़ाद कर लिया | यहीं से फिरके बनने शुरू हो गए किसी ने अह्लेबय्त से आज़ादी ली वो अलग फिरका किसी ने अह्लेबय्त से तो आज़ादी ली लेकिन हजरत मुहम्मद (स.अ.व) का दमन पकडे रहे वो अलग फिरका लेकिन वो फिरका जिसने हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की अहादीस को वैसे माना जैसा उनका हुक्म था और न अह्लेबय्त का दम छोड़ा , न हजरत मुहम्मद (स.अ.व) का दमन छोड़ा और कुरान पे वैसे चले जैसे अह्लेबय्त ने चल के दिखाया वो सही राह पे रहे क्यों की अल्लाह सूरा ए रूम में फरमाता है जो लोग अपनी इच्छाओं या दूसरे कारणों से अल्लाह और रसूल पर सबक़त करते हैं उनके पास ईमान और तक़वा नही है।
आज भी वो मुसलमान जिसने अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों का साथ नहीं छोड़ा दहशतगर्दी में कभी शरीक नहीं मिलते बल्कि दहशतगर्दी और आतंकवाद का शिकार हो जाया करते हैं | यह दो बातें साबिक करता है की इस्लाम का सही पैग़ाम अमन और शांति है जो अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों का साथ पकड़ने वालों का पैग़ाम है और दुसरे यह की अल्लाह का सही पैग़ाम देने वालों पे हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की हदीस पे वैसे अमल करने वालों पे जैसा उन्होंने कहा था ,पहले भी ज़ुल्म हुआ और आज भी वही ज़ुल्म का शिकार होते है |
यह ज़ुल्म वही करते हैं जो खुद को मुसलमान कहते हैं लेकिन अल्लाह उसके रसूल हजरत मुहम्मद (स.अ.व) और उनके घराने वालों से आजादी ले चुके हैं | आपने सुना होगा की ऐसे भी मुसलमान हैं जो हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की निशानियों को मक्का और मदीने में भी मिटा रहे हैं और आपने यह भी सुना होगा की हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घराने पे ज़ुल्म हुआ कभी उनकी बेटी फातिमा (स.अ.व) का घर जला, कभी कर्बला में उनके नवासे इमाम हुसैन (अ.स) का क़त्ल हुआ | यह भी एक फिरका है जो कल भी ज़ालिम था आज भी ज़ालिम है | और आपने यह भी देखा होगा की एक फिरका ऐसा है जो हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के घराने पे हुए ज़ुल्म पे आंसू बहता है , उसके खिलाफ आवाज़ उठता है |यह काभी दहशत गर्द नहीं होता क्यूँ की यह असल इस्लाम को मानता है जहां दहशतगर्दी हराम है और ऐसा गुनाह है जो कभी माफ़ नहीं होता |
यह आज़ादी भी एक नशा है जो हराम है क्यूँ की यह गुमराही का एक बड़ा कारण है |