जीवन के मार्ग के चयन में मनुष्यों के तीन गुट हैं।
जीवन के मार्ग के चयन में मनुष्यों के तीन गुट हैं। एक गुट वह है जो सीधे मार्ग का चयन करता है और अपने व्यक्तित्व तथा सामाजिक जीवन को ...
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जीवन के मार्ग के चयन में मनुष्यों के तीन गुट हैं।
एक गुट वह है जो सीधे मार्ग का चयन करता है और अपने व्यक्तित्व तथा सामाजिक जीवन को ईश्वर के बताए हुए क़ानूनों के आधार पर संचालित करता है।
दूसरा गुट उन लोगों का है जो यद्यपि सत्य को समझ चुके हैं परन्तु इसके बावजूद उससे मुंह मोड़ लेते हैं। ऐसे लोग ईश्वर के अतिरिक्त अन्य लोगों की छाया में चले जाते हैं। ऐसे लोगों के कर्मों के परिणाम धीरे-धीरे उनके अस्तित्व में प्रकट होने लगते हैं और वे सीधे मार्ग से विचलित होकर ईश्वर के कोप का पात्र बनते हैं।
तीसरा गुट उन लोगों का है जिनका कोई स्पष्ट और निर्धारित मार्ग नहीं है। यह लोग इधर-उधर भटकते रहते हैं। हर दिन एक नए मार्ग पर चलते हैं परन्तु कभी भी गन्तव्य तक नहीं पहुंच पाते। कुरान की सूरए हम्द में इस बात का ज़िक्र है |
अलबत्ता सीधे मार्ग की पहचान सरल काम नहीं है क्योंकि ऐसे अनेक लोग हैं जो सत्य के नाम पर लोगों को ग़लत बातों और पथभ्रष्टता की ओर ले जाते हैं या ऐसे कितने मनुष्य हैं जो स्वयं अतिश्योक्ति के मार्ग पर चल पड़ते हैं। ईश्वर ने अनेक आयतों में सच्चों के व्यवहारिक उदाहरणों का उल्लेख किया है। ईश्वर ने कुरान में सूरए निसा की ६९वीं आयत में कहा है कि पैग़म्बर, सत्यवादी, शहीद और भले कर्म करने वाले उसकी विशेष अनुकंपा के पात्र हैं। अतः सही मार्ग वह है जिसपर पैग़म्बर, ईश्वर के प्रिय बंदे और पवित्र तथा ईमानवाले लोग चले हैं।