शेख सदूक़ कौन थे और उनका जन्म कब हुआ |

जन्म इमामे ज़माना के तीसरे नायिब(प्रतिनिधि) हुसैन पुत्र रूह नोबख्ती के समय मे शेख सदूक़ के पिता अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी बग़दाद गये। क्य...

जन्म
इमामे ज़माना के तीसरे नायिब(प्रतिनिधि) हुसैन पुत्र रूह नोबख्ती के समय मे शेख सदूक़ के पिता अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी बग़दाद गये। क्योंकि उनके कोई संतान नही थी इस लिए उन्हेने इमाम को एक पत्र लिखा जिसमे मे पुत्र प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की। यह पत्र उन्होने हुसैन पुत्र रोह को दिया और कहा कि आप जब इमाम की सेवा मे जाना तो मेरा यह पत्र भी इमाम की सेवा मे प्रस्तुत कर देना। इसके बाद उनको इमाम का उत्तर प्राप्त हुआ कि हमने तुम्हारे लिए दुआ कर दी है अल्लाह शीघ्र ही तुमको दो पवित्र पुत्र प्रदान करेगा।
सन्311हिजरी क़मरी मे इमाम की दुआ के फल स्वरूप शेख सदूक़ का जन्म हुआ। शेख सदूक़ ने स्वयं अपनी किताब कमालुद्दीन मे इस बात का उल्लेख किया है।
शेख सदूक़ के व्यक्तित्व पर एक दृष्टि
शेख सदूक़ एक शिक्षित परिवार मे पैदा हुए थे।शेख सदूक़ के पिता क़ुम के उच्च कोटी के विद्वान थे। शेख सदूक़ के अनुसार उन्होने200से अधिक किताबे लिखीं। शेख सदूक़ ने प्रारम्भिक शिक्षा पूर्ण करने के बाद क़ुम के महान फ़कीहो व मुहद्दिसों से हदीस व फ़िक्ह का ज्ञान प्राप्त किया। उन्होने इस ज्ञान की प्राप्ति हेहू अपने पिता अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी, मुहम्मद पुत्र हसन पुत्र वलीद, अहमद पुत्र अली पुत्र इब्राहीम क़ुम्मी,हुसैन पुत्र इदरीस क़ुम्मी व इत्यादि से ज्ञान लाभ प्राप्त किया।
बोया वंश के शासन काल मे उन्होने शिया बाहुल्य़ स्थानो का भ्रमन किया। शेख सदूक़347हिजरी क़मरी मे रै नामक स्थान पर अबुल हसन मुहम्मद पुत्र अहमद पुत्र अली असदी से जो इब्ने जुरादाह बरदई के नाम से प्रसिद्ध थे हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। 352हिजरी क़मरी मे उन्होने नेशापुर मे अबु अली हुसैन पुत्र अहमद बहीक़ी, अबदुर्रहमान मुहम्मद पुत्र अबदूस से भी हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। इसी प्रकार उन्होने मरू नामक स्थान पर अबुल हसन मुहम्मद पुत्र अली पुत्र फ़कीह,अबू यूसुफ़ राफ़े पुत्र अब्दुल्लाह,से भी हदीस के क्षेत्र मे ज्ञान लाभ प्राप्त किया। अबु यूसुफ़ राफ़े वह महान व्यक्ति हैं जिन्होने कूफ़ा,मक्का,बग़दाद,बलख व सरखस मे हदीसो को सुना था। ज्ञानीयो के लिए भ्रमन एक साधारण कार्य है। शेख सदूक़ के समय मे शिया एक सीमा तक स्वतन्त्रता का जीवन व्यतीत कर रहे थे। इसी कारण उन्होने ने सुन्नी बाहुल्य स्थानो की भी यात्राऐं की तथा शिया सम्प्रदाय को बातिल मानने वालों के सम्मुख शिया सम्प्रदाय की वास्तविक्ता को उजागर किया। उन्होने शिया सम्प्रदाय के ज्ञान, फ़िक्ह, हदीस,को प्रकाशित किया। तथा इस प्रकार शिया सम्प्रदाय के उत्थान व विकास मे महत्वपूर्ण योगदान किया।
उनका ज्ञान व अध्यात्म के क्षेत्र मे इतना उच्चय स्थान था कि फ़कीहे अज़ीमुश्शानी, व बहरूल उलूम जैसे शिया विद्वानो व फ़कीहो ने रईसुल मुहद्देसीन जैसी उपाधी के साथ उनका वर्णन किया है।
शेख सदूक़ शिया विद्वानो की दृष्टि मे
1- शेख तूसी उनके सम्बन्ध मे कहते हैं कि शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा एक उच्चय कोटी के विद्वान, व हाफ़िज़े हदीस थे। उन्होने लगभग 300 किताबें लिखी। ज्ञान व हिफ़ज़े हदीस के क्षेत्र मे पूरे क़ुम मे कोई उन से बढ़ कर न था।
2- मुहम्मद पुत्र इदरीस हिल्ली उनके सम्बन्ध मे लिखते हैं कि शेख सदूक़ अलैहिर्रहमा एक विशवसनीय विद्वान, अखबार ( रिवायात)के विशेषज्ञ, इल्मे रिजाल के महान ज्ञानी व हदीस के हाफ़िज़ थे।
3-अल्लामा बहरूल उलूम उनके सम्बन्ध मे लिखते हैं कि अबूजाफ़र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र हुसैन पुत्र मूसा पुत्र बाबवे क़ुम्मी शियों के पेशवाओं मे से एक पेशवा व शरीअत के सतूनो मे से एक सतून(स्तंभ) हैं।वह मुहद्देसीन के सरदार हैं ।व जो कथन उन्होने आइम्मा ए सादेक़ीन से हमारी ओर परिवर्तित किये हैं वह उन मे सच्चे हैं। वह इमामे ज़माना की दुआ से पैदा हुए थे। इस प्रकार उनको यह श्रेष्ठता प्राप्त हुई।
शेख सदूक़ के असातेज़ा (गुरूजन)
मरहूम शेख अब्दुर्ऱहीम रब्बानी शीराज़ी ने शेख सदूक़ के जिन गुरूओं का वर्णन किया है उनमे से मुख्य इस प्रकार हैँ।
1-अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी
2-मुहम्मद पुत्र हसन वलीद क़ुम्मी
3-अहमद पुत्र अली पुत्र इब्राहीम
4-अली पुत्र मुहम्मद क़ज़वीनी
5-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र शाज़ान
6-जाफ़र पुत्र मुहम्मद पुत्र क़लवीय क़ुम्मी
7-अली पुत्र अहमद पुत्र मेहरयार
8-अबुल हसन खयूती
9-अबू जाफ़र मुहम्मद पुत्र अली पुत्र असवद
10-अबू जाफ़र मुहम्मद पुत्र याक़ूब कुलैनी
11अहमद पुत्र ज़ियाद पुत्र जाफ़र हमदानी
12-अली पुत्र अहमद पुत्र अब्दुल्लाह क़रकी
13-मुहम्मद पुत्र इब्राहीम लीसी
14-इब्राहीम पुत्र इस्हाक़ तालक़ानी
15-मुहम्मद पुत्र क़ासिम जुरजानी
16-हुसैन पुत्र इब्राहीम मकतबी
शेख सदूक़ के शिष्यगण
1-शेख मुफ़ीद
2-मुहम्मद पुत्र मुहम्मद पुत्र नोमान
3-हुसैन पुत्र अब्दुल्लाह
4-हारून पुत्र मूसा तलाकिबरी
5-हुसैन पुत्र अली पुत्र बाबवे क़ुम्मी( भाई)
6-हसन पुत्र हुसैन पुत्र बाबवे क़ुम्मी( भतीजा)
7-हसन पुत्र मुहम्मद क़ुम्मी
8-अली पुत्र अहमद पुत्र अब्बास नजाशी
9-इल्मुल हुदा सैय्यिद मुर्तज़ा
10-सैय्य़िद अबुल बरकात अली पुत्र हुसैन जूज़ी
11-अबुल क़ासिम अली खिज़ाज़
12-मुहम्मद पुत्र सुलेमान हिमरानी
शेख सदूक़ की रचनाऐं
शेख तूसी ने वर्णन किया है कि शेख सदूक़ ने 300 किताबे लिखी हैं। तथा शेख तूसी ने अपनी किताब फ़हरिस्त मे उनकी 40 किताबो के नाम लिखे हैं। तथा शेख नजाशी ने अपनी किताब मे उनकी 189 किताबो का उल्लेख किया है।उनकी मुख्य किताबो के नाम इस प्रकार हैं।
1-मन ला यहज़रूल फ़क़ीह
2-कमालुद्दीन व इतमामुन् नेअमत
3-किताब आमाली
4-किताब सिफ़ाते शिया
5-किताब अयूनुल अखबार इमाम रिज़ा अलैहिस्सलाम
6-किताब मसादेक़हुल अखबार
7-किताब खिसाल
8- किताब ऐलालुश शराए
9-किताब तौहीद
10-किताब इसबाते विलायत अली
11-किताब मारफ़त
12-किताब मदीनःतुल इल्म
13-किताब मक़ना
14-किताब मुआनीयुल अखबार
15-किताब मशीखातहुल फ़कीह
“मन ला यहज़रुल फ़कीह” शेख सदूक़ की विश्व प्रसिद्ध किताब है। यह किताब अनेको बार प्रकाशित हो चुकी है। शेख सदूक़ ने इस किताब को बलख क्षेत्र के इलाक़ नामक एक गाँव मे बैठकर लिखा था। इस किताब की अनेको विद्वानो ने व्याख्या की है तथा कुछ ने इस पर नोट्स लिखे हैं।
शेख सदूक़ इस किताब की प्रस्तावना मे लिखते हैं कि जब तक़दीर मुझे खैंच कर इस गाँव मे लाई तो यहां पर मेरी भेंट सैय्यिद अबू अब्दुल्लाह (जो नेअमत के नाम से प्रसिद्धि रखते हैं।) से हुई। मैं उनसे मिलकर बहुत प्रसन्न हुआ । उन्होने कहा कि मुहम्मद बिन ज़करिया राज़ी ने तिब मे (चिकित्सा ज्ञान) एक किताब लिखी थी और उसका नाम मन ला यहज़रूत तबीब रखा था। तथा इस किताब मे तिब (चिकित्साज्ञान) से सम्बन्धित सब बातों को लिखा था। जहां पर कोई तबीब (चिकित्सक) नही होता था वहां पर इस किताब की महत्ता बहुत अधिक थी। उन्होने मुझ से कहा कि आप फ़िक्ह, हलाल, हराम व दीनी अहकाम पर एक किताब लिखे जिसमे सब मसाइल मौजूद हो और उस किताब का नाम ला यहज़रूल फ़कीह रखें। ताकि जो जिस हुक्म को चाहे उसमे देखे और उस पर विश्वास करे। मैने उनकी इस बात को स्वीकार किया तथा यह किताब मन ला यहज़रूल फ़कीह लिखी।
इस किताब की महत्ता इस बात से प्रकट होती है कि शिया सम्प्रदाय की चार मुख्य किताबो मे यह किताब दूसरे स्थान पर है। इस किताब के चार भाग हैं जिनको विभिन्न 544 खण्ड़ो पर विभाजित किया गया है। तथा इस किताब मे 5963 हदीसो का उल्लेख किया गया है। जिनमे से 3913 हदीसों का मुस्नद रूप से उल्लेख किया गया है, तथा शेष 2050 हदीसों का मुरसल रूप मे उल्लेख किया गया है।
स्वर्गवास
शेख सदूक़ मुहम्मद पुत्र बाबवे क़ुम्मी सत्तर वर्ष से अधिक जीवित रहे। तथा उन्होंने 300 से अधिक किताबे लिखी। वह सन् 381 हिजरी क़मरी मे रै नामक शहर (यह शहर वर्तमान मे ईरान की राजधानी तेहरान के पास स्थित है) मे स्वर्गवासी हुए तथा वहीं पर उनकी समाधि बनायी गई।























































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