इमाम हुसैन और अज़ादारी देवबंद में मौलाना असद अब्बास ईरानी जौनपुरी

  10 मुहर्रम 61 हिजरी की  जंग ए कर्बला मैं  इमाम हुसैन की क़ुरबानी को केवल इस्लाम को मानने वाले ही नहीं सारा विश्व आज तक नहीं भुला सका है. ...

 

10 मुहर्रम 61 हिजरी की  जंग ए कर्बला मैं  इमाम हुसैन की क़ुरबानी को केवल इस्लाम को मानने वाले ही नहीं सारा विश्व आज तक नहीं भुला सका है. हर साल १० मुहर्रम को मुसलमान इमाम हुसैन (अ.स) की क़ुरबानी  को याद करते हैं|

इमाम हुसैन (अ.स) ने क़ुरबानी दे के उस इस्लाम को बचाया जिसका पैग़ाम मुहब्बत ,और शांति थी .सवाल यह पैदा होता है की इस्लाम किस से बचाया? इमाम  हुसैन  (अलैहिस  सलाम) ने सच्चा इस्लाम  बचाया ,उस दौर के ज़ालिम बादशाह यजीद से   जिसने ज़ुल्म और आतंकवाद का इस्लाम फैला  रखा था जिसको को बेनकाब करके सही इस्लाम पेश किया इमाम हुसैन(अ.स) ने.

यह १४०० साल पहले की बात थी लेकिन आज भी वही सूरत ए हॉल दिखाई देती है. एक गिरोह , जिहाद, फतवा और इन्केलाब के नाम पे ज़ुल्म को इस्लाम बताने पे लगा हुआ है. यह आतंकवाद को पसंद करते हैं, बेगुनाह की जान का चले जाना इसके लिए कोई माने  नहीं लगता. आज भी यही इमाम हुसैन (अ.स) को मानने  वाले ,अमन और प्रेम का सदेश दिया करते हैं. कर्बला  का युद्ध   सदगुणों के सम्मुख अवगुणों और भले लोगों से अत्याचारियों का युद्ध था. कर्बला की घटना में यज़ीद की सिर से पैर तक शस्त्रों से लैस ३० हज़ार की सेना ने इमाम हुसैन (अ) और उनके 72 वफ़ादार साथियों को घेर लिया और अन्तत: सबको तीन दिन भूखा और प्यासा शहीद कर दिया.

हर वर्ष इस मुहर्रम के शुरू होते ही मुसलमान काले कपडे पहन के, इमाम हुसैन (ए.स) की क़ुरबानी के  वाकए(मजलिसों /शोक सभाओं)  को सुनते हैं और सब को बताते हैं कैसे इमाम हुसैन (ए.स) पे ज़ुल्म हुआ, कैसे उनके ६ महीने के बच्चे को भी प्यासा शहीद कर और ग़म मैं आंसू  बहाते हैं. मुहर्रम का महीना शुरू होते ही यह  सिलसिला शुरू हो जाता है.

जौनपुर सिपाह के रहने वाले कह्तीब इ अह्लुल्बय्त मौलाना असद अब्बास साहब ने इस साल हिंदुस्तान के देवबंद ,सहारनपुर में ज़िक्र इ हुसैन (अ.स ) किया और अंजुमन इ जफेरिया इरानिया ने जुलूस और मातम इ हुसैन को अंजाम दिया.

आप सभी के सामने पेश है विडिओ.

 

अज़ादारी जुलूस देवबंद सहारनपुर इंडिया
Blogger Labels: १४००

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

Hot in week

Recent

Comments

इधर उधर से

Comment

Recent

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Admin

item