सूरए आले इमरान; आयतें १७४-१८६
सूरए आले इमरान की १७४वीं आयत (जो घायल व्यक्ति दूसरी बार प्रतिरक्षा के लिए तैयार हुए हैं) वे ईश्वर की कृपा से, बिना कोई क्षति उठाए वापस ...
सूरए आले इमरान की १७४वीं आयत (जो घायल व्यक्ति दूसरी बार प्रतिरक्षा के लिए तैयार हुए हैं) वे ईश्वर की कृपा से, बिना कोई क्षति उठाए वापस ...
सूरए आले इमरान की १६९वीं आयत की तिलावत सुनते हैं। और जो लोग ईश्वर के मार्ग में शहीद कर दिये गए उनको मरा हुआ मत समझो बल्कि वे जीवित हैं ...
सूरए आले इमरान की १४९वीं और १५०वीं आयत हे ईमान वालो! यदि तुम काफ़िरों का अनुसरण करोगे तो वे तुम्हें, तुम्हारे पूर्वजों के अज्ञानतापूर्...
सूरए आले इमरान की आयत नंबर 187 और जब ईश्वर ने (विद्वानों से और) जिन्हें (आसमानी) किताब दी गई थी, यह वचन लिया कि लोगों के लिए (किताब की ...
सूरए निसा की आयत संख्या 129 और तुम कितना ही चाहो, अपनी पत्नियों के बीच पूर्ण न्याय नहीं कर सकते तो केवल एक ही की ओर न झुक जाओ और दूसरी ...
हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा मिले और इसी को अल्लाह से मुहब्बत कहा जाता है ...