सूरए क़सस की आयत 4 : महिलाओं की स्वतंत्रता के सुंदर शीर्षक के अंतर्गत लड़कियों और महिलाओं का शोषण की नीति को करो ख़त्म |

सूरए क़सस की आयत 4 का अनुवाद:  निश्चतय ही फ़िरऔन ने (मिस्र की) धरती में उद्दंडता की और वहां के लोगों को विभिन्न गुटों में बांट दिया। उन...



सूरए क़सस की आयत 4 का अनुवाद:  निश्चतय ही फ़िरऔन ने (मिस्र की) धरती में उद्दंडता की और वहां के लोगों को विभिन्न गुटों में बांट दिया। उनमें से एक गुट को कमज़ोर कर रखा था। वह उस (गुट के लोगों) के बेटों की हत्या करता और उनकी महिलाओं को जीवित रहने देता। निश्चय ही वह बुराई फैलाने वालों में से था।

इस आयत से मिलने वाले पाठ:

जब तक लोगों में एकता व एकजुटता रहेगी तब तक अत्याचारी शासन उन पर वर्चस्व नहीं जमा पाएंगे।

यही कारण है कि अत्याचारी और साम्राज्यवादी शक्तियां हमेशा राष्ट्रों के बीच फूट डालने के प्रयास में रहती हैं।

पुरुषों में साहस और पुरुषार्थ की भावना को मारना और महिलाओं की स्वतंत्रता के सुंदर शीर्षक के अंतर्गत लड़कियों और महिलाओं का शोषण, वह नीति है जिससे आजकी आधुनिक दुनिया में भी विभिन्न रूपों और नामों से लाभ उठाया जा रहा है।


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