google.com, pub-0489533441443871, DIRECT, f08c47fec0942fa0 कभी भी किसी गरीब अपमान न करें और उससे उसकी खुद्दारी और इज़्ज़त को ना छीने | हज़रत अली अ .स) | हक और बातिल

कभी भी किसी गरीब अपमान न करें और उससे उसकी खुद्दारी और इज़्ज़त को ना छीने | हज़रत अली अ .स)



हज़रत अली (अ.स.) ने कहा: गरीबी और कठिनाई सबसे बड़ी मौत है।कभी भी किसी गरीब अपमान न करें और उससे उसकी खुद्दारी और इज़्ज़त को मत छीन लेना| हज़रत अली अ .स)



 "मौत एक व्यक्ति को ज़िन्दगी  में केवल एक बार आती है और इसके साथ ही उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं, लेकिन गरीबी और कठिनाई के कारण, एक इंसान बार-बार तकलीफ़ उठाता है। कभी-कभी शारीरिक दर्द।  कभी-कभी रूहानी पीड़ा - कभी-कभी भूख के कारण शरीर कांपने लगता है, कभी-कभी उसे अपनी  पत्नी, बच्चों और अन्य लोगों की परेशानियों को देखकर भी दिली कष्ट उठाना पड़ता है  उद्देश्य यह है कि गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति अपने ज़ाहेरी जीवन के बावजूद बार-बार मरता है और इस दुख के संकट को समाप्त करता है। 

इसलिए, मेरे वफादार भाइयों !! कभी भी किसी गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति का अपमान न करें और अगर !!  यदि आप उसे कुछ नहीं दे सकते हैं, तो उसे उसके खुद्दारी और इज़्ज़त को मत छीन लेना , क्योंकि एक गरीब व्यक्ति की सांस आसमान से टकराती है और फिर उसका फैसला अल्लाह ही करता है | 

इस हदीस के आईने में अगर हम आज के समाज को देखिए तो ताज्जुब होता है की कैसे हम अगर किसी गरीब की मदद करते हैं तो उसे इज़्ज़त की नज़र से नहीं देखते और सिर्फ अपनी शान दिखाने के लिए उस गरीब की मज़बूरी का फायदा लेते हुए उसकी तस्वीर दुनिया को बताते हैं की देखो यह गरीब है जो मदद मांग रहा था और हमने मदद की | 

मत पहुंचाएं ऐसी तकलीफ किसी गरीब को क्युकी आपको उसकी मदद के बदले में उसकी खुद्दारी और इज़्ज़त छीन लेने का कोई हक़ नहीं | 



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