google.com, pub-0489533441443871, DIRECT, f08c47fec0942fa0 ओवैसे क़रनी की अहमियत | | हक और बातिल

ओवैसे क़रनी की अहमियत |

हज़रत ओवैस क़रनी का कार्य यह था कि वह पैसा लेकर लोगों के ऊँट चराने के लिए ले जाया करते थे, और इससे जो पैसा हाथ लगता उसी से अपनी माँ...



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हज़रत ओवैस क़रनी का कार्य यह था कि वह पैसा लेकर लोगों के ऊँट चराने के लिए ले जाया करते थे, और इससे जो पैसा हाथ लगता उसी से अपनी माँ की देखभाल किया करते थे। 
एक बार उन्होंने अपनी माता से कहा कि: मुझे पवित्र शहर मदीने जाने दें ताकि मैं अपने रसूल का दीदार कर सकूँ और मेरी उनसे मुलाक़ात हो जाए।
माँ ने कहा ठीम हैं मैं तुमको अनुमति तो देती हूँ लेकिन मेरी शर्त यह है कि तुम आधे दिन से अधिक मदीने में नही रुकोगे।
ओवैस चल दिये और मदीने में रसूले इस्लाम (स) के घर पर पहुँचे। लेकिन उस समय पैग़म्बर (स) घर में नही थे। ओवैस ने दो घंटे प्रतीक्षा की और उसके बाद यमन की तरफ़ चल पड़े उनके जाने के बाद रसूल (स) घर तशरीफ़ लाए। और आपने कहा कि यह किसका नूर है जिसने मेरे घर को प्रकाशमयी बना रखा है। 
मेरे घर में कौन आया था?
किसी ने बताया कि एक ऊँच चराने वाला आया था जिसका नाम ओवैस था
आपने फ़रमाया निसंदेह यह नूर ओवैस का था, उसी के आने से मेरा घर प्रकाशमयी था।
रसूले इस्लाम ओवैस के सम्बनध में फ़रमाते है क़र्न की तरफ़ से जन्नत की ख़ुश्बू आती है। हे ओवैस मैं तुमसे मिलने के लिए बेक़रार हूँ
नोटः रसूल (स) के सारे सहाबियों में से केवल ओवैस ही हैं जिन्होंने नबी (स) को कभी नहीं देखा है लेकिन फिर भी सुन्नी और शिया सभी उनको रसूल का सहाबी मानते हैं।


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