भारत और इरान जैसे अमन पसंद देश आतंकवाद के निशाने पे क्यूँ रहते हैं ?
भारत देश हमेशा से मानवता से भरा अमन पसंद देश कहलाता रहा है और इसी कारण से ना जाने कितने आतंकवादी हमले झेलने के बाद भी यह देश अमन प...
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भारत देश हमेशा से मानवता से भरा अमन पसंद देश कहलाता रहा है और इसी कारण से ना जाने कितने आतंकवादी हमले झेलने के बाद भी यह देश अमन पसंद ही रहा और यहाँ विदेशी ताक़तें आतंकवादी हमलों के बाद भी नाकामयाब ही रही है |
इसी प्रकार शिया मुसलमानों की आतंकवाद से लड़ाई बड़ी पुरानी है या आप कह लें की कर्बला में इमाम हुसैन (अ स० ने जो जंग लड़ी वो आतंकवाद के खिलाफ एक जंग थी | उस समय भी आतंकवाद की जड़ यजीद था जिसे मुसलमानों और इस्लाम से कम और यहूदियत से अधिक मुहब्बत थी |
भारत की तरह इरान भी अमनपसंद देश रहा है और आतंकवाद के खिलाफ हमेशा से लड़ता रहा है | इरान शिया मुस्लिम बाहुल्य देश है और यहाँ वालों की लड़ाई अमेरिका और इसराइल से केवल इसलिए रहती है क्यूँ की यह देश आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं क्यूँ की इनका मकसद विश्व विजय है और यह अपने मकसद के लिए आतंकवाद का सहारा लिया करते हैं |
लखनऊ से मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सऊदी अरब दौरे और इस्लामी देशों के साथ उनकी बातचीत का उद्देश्य ईरान के खिलाफ तथाकथित इस्लामी सरकारों को एकजुट करना था। उन्होंने कहा कि ट्रंप के सऊदी अरब दौरे के बाद ईरान में आतंकवादी हमले का होना बताता है कि आतंकवाद का पूरा नेटवर्क अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब के सहयोग से चलता है।
जौनपुर से मौलाना सफ़दर ने कहा की इस्लाम दुश्मन शक्तियां सीरिया, बहरैन और इराक को पूरी तरह तबाह कर चुकी हैं और अब उनकी निगाहें ईरान पर हैं। उन्होंने कहा कि यही कारण है कि ट्रम्प लगातार अपने गुलाम देशों का दौरा कर रहे हैं और ईरान के खिलाफ महागठबंधन तैयार करने का प्रयास कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि भारत भी लगातार दहशतगर्दों की चपेट में है जिसमें बहुत बेगुनाहों की जान जा चुकी है। ऐसे में अब समय आ गया है कि आतंकवाद विरोधी सभी देश एकजुट होकर आतंकवाद का सफाया करें।
शिया समुदाय हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ रहा है और आवाज़ उठाता रहेगा |
