नमाज़ वहशत ऐ कब्र कैसे पढ़ें ?
मुनासिब है कि मैयित के दफ़्न के बाद पहली रात में उसके लिए दो रकत नमाज़े वहशते क़ब्र पढ़ी जाये और उसके पढ़ने का तरीक़ा यह है कि ...


नमाज़े वहशते क़ब्र, मैयित के दफ़्न करने के बाद पहली रात में किसी भी वक़्त पढ़ी जा सकती है, लेकिन बेहतर यह है कि अव्वले शब में इशा की नमाज़ के बाद पढ़ी जाये।
अगर मैयित को किसी दूसरे शहर ले जाना हो या किसी और वजह से उसके दफ़्न में देर हो जाये तो नमाज़े वैहशत को दफ़्न की पहली रात तक मुलतवी कर देना चाहिए।

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