पड़ोस की सीमा और पड़ोसी-का-अधिकार
इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः एक अंसारी हज़रत रसूले ख़ुदा (स) के पास आया और कहने लगाः मैंने फ़लां महल्ले में मकान ख़रीदा है म...
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इमाम सादिक़ (अ) ने फ़रमायाः
एक अंसारी हज़रत रसूले ख़ुदा (स) के पास आया और कहने लगाः
मैंने फ़लां महल्ले में मकान ख़रीदा है मेरा पड़ोसी ऐसा है कि मुझे उससे नेकी की आशा नहीं है और मैं उसकी बुराई से सुरक्षित नहीं हूँ।
रसूले इस्लाम (स) ने हज़रत अली (अ) हज़रत सलमान मिक़दाद अबूज़र को आदेश दिया कि वह मस्जिद में उच्च ध्वनि में यह एलान करें:
لا ایمان لمن یا من جوارہ بوائقہ
जिसके क्रोध से उसका पड़ोसी सुरक्षित ना हो वह मोमिन नहीं है।
फिर पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः
पड़ोस की सीमा चालीस घर तक है । यानी चालीस घर सामने के चालीस घर पीछे के, चालीस घर दाएं और चालीस घर बाएं तक पड़ोस की सीमा है।
(बिहारुल अनवार जिल्द 16 पेज 43 पंदे तारीख़ से लिया गया पेज 48)
पड़ोसी का अधिकार
सईद बिन जुबैर से रिवायत है कि अबदुल्लाह बिन अब्बास, अबदुल्लाह बिन जुबैर के पास गए। इब्ने जुबैर ने कहा कि हे इब्ने अब्बास तुम सदैव मुझे कम हिम्मत और कंजूस कहते हो।
इब्ने अब्बास ने कहाः जी हां। मैं ने पैग़म्बरे इस्लाम (स) से सुना कि आपने फ़रमायाः
ऐसा व्यक्ति मुसलमान नहीं है जो स्वंय तो पेट भरकर खा कर सो जाए लेकिन उसका पड़ोसी भूका हो।
इब्ने ज़ुबैर ने कहाः इब्ने अब्बास मेरे दिल में तुम अहलेबैत के विरुद्ध कीना चालीस साल से पल रहा है।
इन दोनों के बीच और भी बातें हुईं
अंतः इब्ने अब्बास उनके ज़ुल्म और अत्याचार से बचने के लिए मक्का छोड़कर ताएफ़ चले गए।
(ततिम्मतुल मुनतहा पेज 51 पंदे तारीख़ से लिया गया पेज 47)