हज़रत फ़ातेमा (स) से रिवायत बुखार से बचने की दुआ
हज़रत फ़ातेमा (स) से रिवायत बुखार से बचने की दुआ (एक विस्तिरित हदीस में हज़रत सलमान फ़ारसी से इस प्रकार रिवायत हुई है) हज़रत...
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हज़रत फ़ातेमा (स) से रिवायत बुखार से बचने की दुआ
(एक विस्तिरित हदीस में हज़रत सलमान फ़ारसी से इस प्रकार रिवायत हुई है)
हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (स) ने सलमान फ़ारसी से फ़रमायाः हे सलमान मेरे पिता के देहांत के बाद तुमने मुझपर ज़ुल्म किया (तुम हमारी ज़ियारत को नहीं आए जब्कि तुम तो पैग़म्बर के कथानुसार हम अहलेबैत में से थे)
सलमान कहते हैः मैंने कहाः हे शहज़ादी क्या मैंने आपके हक़ में ज़ुल्म किया? (जब कि आप जानती है कि मैं आपके परिवार का मुरीद और मुख़लिस हूँ)
फ़ातेमा ज़हरा (स) ने फ़रमायाः चुप रहो और जो मैं कह रहीं हूँ सको सुनो।
सलमान ने कहाः हे शहज़ादी मुझे कुछ बताएं।
हज़रत ज़हरा (स) ने फ़रमायाः अगर तुम यह चाहते हो कि दुनिया में कभी तुमको बोख़ार न हो, तो जब तक दुनिया में हो उसको पढ़ो।
सलमान ने कहाः शहज़ादी मुझे वह दुआ बताएं।
तब शहज़ादी ने वह दुआ जो दुआ ए नूर के नाम से प्रसिद्ध हैं उनको सिखाई।
सलमान कहते हैं ईश्वर की सौगंध मैंने हज़रत ज़हरा (स) की उस दुआ को मक्के और मदीने के एक हज़ार लोगों को सिखाई जो बोख़ार में पड़े थे और सभी ईश्वर की कृपा से स्वस्थ हो गये।
(बिहारुल अनवार जिल्द 43 पेज 66 व 67)
