जनाब इ फातिमा (स.अ) को और दुःख ना पहुंचाएं |

मुसलमान इस महीने हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की बेटी जनाब ऐ फातिमा (स.अ) की वफात और उनपे हुए ज़ुल्म को याद करता है और दुखी होता है | बीबी फातिमा...

मुसलमान इस महीने हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की बेटी जनाब ऐ फातिमा (स.अ) की वफात और उनपे हुए ज़ुल्म को याद करता है और दुखी होता है | बीबी फातिमा का किरदार उनका सब्र उनका एखलाक और उनका इल्म उनका पर्दा मुसलमान महिलाओं के लिए एक उदाहरण है जिसपे चलते हुए ही अल्लाह की ख़ुशी की तमन्ना की जा सकती है | 

लेकिन ..

होता यह है की हम हजरत फातिमा (स.अ) का दुःख मनाते हैं उनके किरदार उनके परदे, सब्र के बारे में लोगों को बताते हैं लेकिन उनपे खुद अमल नहीं बल्कि ऐसा कह लें की अक्सरीयत (बहुसंख्यक) की चाहत के अनुसार, भौतिकता से प्रभावित हो कर आधुनिक विचारधारा, विचारों को प्रकट करने की स्वतन्त्रता के बहाने जनाब ऐ फातिमा (स.अ) को और भी दुखी करते हैं |

हम कैसे मुसलमान हैं की बीबी फातिमा (स.अ) के दुःख पे रोते भी हैं और उन्हें हर दिन और दुखी भी करते हैं ? जो किरदार के फातिमा (स.अ) पे ना चले और उनका बयान कर के वाह वाह भी करे उसे आप क्या कहेंगे? यह मुनाफिकात हमारे किरदार में जो आती जा रही है यह यकीनन हमें जहन्नम की तरफ ले जाएगी |

जनाब इ फातिमा (स.अ) को और दुःख ना पहुंचाएं और किरदार इ फातिमा (अ.स) को अपनी पहचान बनायें | 


By S.M.Masum

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