आज हमारे चारों तरफ यह इंसान जो कुछ भी करता नज़र आता है उसके पीछे केवल एक मकसद हुआ करता धन कमाना अब अपना यह मकसद चाहे इंसान समाज सेवा के ना...

आज हमारे चारों तरफ यह इंसान जो कुछ भी करता नज़र आता है उसके पीछे केवल एक मकसद
हुआ करता धन कमाना अब अपना यह मकसद चाहे इंसान समाज सेवा के नाम पे हल करे,
नेतागिरी के नाम पे हल करे ,या व्यापार और नौकरी से हासिल करे | इमानदारी से आज दी
दुनिया में बहुत अधिक धन और ऐश ओ आराम नहीं पाया जा सकता तो इस धन के लोभी इंसान का
आज बेईमान होना तो तय है | अब इस बात कोई कोई मान ले या कोई चेहरे पे इमानदारी,
देश सेवा , जान सेवा का नकाब चढाये रहे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता | इसका अपवाद भी
हमारे इस समाज में देखने को मिलता है जहां आप को उस इंसान की परेशानी, बदहाल हालत
देखते ही समझ में आ जाता है की यह ईमानदारी की बीमारी के शिकार हैं | धार्मिक सीख
इत्यादि तो यही कहती है की यह इमानदार इंसान इज्ज़त के काबिल है, इसके साथ उठो बैठो
और इस से सीखो लेकिन आज धन का लोभी इंसान सोंचता है इसके साथ बैठने से केवल समय ही
बर्बाद होगा कोई फायदा नहीं होगा और यह इमानदार आज के इंसान को किसीछूत छूट की
बीमारी जैसा लगने लगता है | इन इमानदारों में भी दो किस्म हुआ करती है | एक वो जिसे
बेईमानी का मौक़ा ही नहीं मिला और दूसरा वो जो हकीकत में इमानदार है | जो हकीकत में
इमानदार है वो अपने अल्लाह, इश्वेर ,भगवान् को सबसे बड़ा समझता है और आज की मुख्य
धारा से बाहर हो जाया करता है लोगों के मज़ाक का कारण बनता है और गुमनाम सी
ज़िन्दगी जीने पे मजबूर हो जाता है |
इस्लाम के कानून के अनुसार जिस समाज में बेईमान, ज़ालिम इज्ज़त पाए और इमानदार
गुमनामी में जिए वो समाज इंसानी समाज नहीं बल्कि जानवरों के रहने की जगह है जिसका
दरवाज़ा जहन्नम का दरवाज़ा है | इमानदार की परेशानी, बदहाली और गुमनामी की सजा उसके
आस पास रहने वालों को भी मिलेगी क्यूँ की यदि वो भी इमानदार होते तो यह गुमनाम
इमानदार आज सबसे ज्यादा इज्ज़तदार, शोहरत का मालिक होता |
एस एम् मासूम