आज ख़ुशी का माहोल है, हर तरफ महफिलें सजी हैं
आज ख़ुशी का माहोल है, सब तरफ मुसलमान आपस मैं मिल रहे हैं, महफिलें सजी हैं, क्यों कि आज जन्म दिन है पैग़म्बर इ इस्लाम हजरत मुहम्मद (स.अव) के ...
आज ख़ुशी का माहोल है, सब तरफ मुसलमान आपस मैं मिल रहे हैं, महफिलें सजी हैं, क्यों कि आज जन्म दिन है पैग़म्बर इ इस्लाम हजरत मुहम्मद (स.अव) के नवासे और मुसलमानों के खलीफा हजरत अली (अ.स) के बेटे इमाम हुसैन (अ.स) का जिसने इंसानियत को बचाने के लिए ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाई और अपने परिवार को कर्बला मैं सन ६१ हिजरी मैं कुर्बान कर दिया.
इस्लाम मैं इस बात पे बहुत ज़ोर दिया गया है कि नेक हिदायतें देने वालों का, उपदेशकों का जन्मदिन और शहादत का दिन याद रखा जाए और उस दिन सभाएं बुलाई जाएं जिनमें उन महान लोगों कि हिदायतों और किरदार को बताया जाए जिससे आने वाले उनसे सीख सकें.
इमाम हुसैन (अ.स) का जन्म मदीने मैं ३ शाबान सन ४ हिजरी मैं हुआ था. इनकी माता का नाम फातिमा जहरा था जो कि पैगेम्बर इ इस्लाम हजरत मुहम्मद (स.व) कि बेटी थीं और पिता का नाम हजरत अली (अ.स) था जो मुसलमानों के खलीफा थे.
मुसलमानों की हदीस और ज्ञानिओं की किताबों मैं मिलता है की जब इमाम हुसैन (अ.स) का जन्म हुआ तो फ़रिश्ते हजरत मुहम्मद (स.अ.व) को मुबारक बाद देने चले .जिब्रील जो फरिश्तों के सरदार हैं ,उनको एक फ़रिश्ता फित्रुस रास्ते मैं मिला ,जिसके पर अल्लाह की तरफ से सजा के कारण जल चुके थे और वो हजारों साल के वैसे ही पड़ा अल्लाह से माफी तलब कर रहा था. उसने जब सभी फरिश्तों को जिब्रील के साथ जाते देखा तो वजह पूछी और जब पता लगा की इमाम हुसैन (अ.स) का जन्म हुआ है तो फ़ौरन बोला जिब्रील से की मुझे भी अपने परों पे बैठा के ले चलो.
जिबरील मान गए और जैसे ही फिर्तुस इमाम हुसैन के झूले के करीब पहुंचा की उसने अपने जले हुए परों से झूले को हिलाया और देखते ही देखते उसके जले हुए पर ठीक हो गए और वो इमाम हुसैन (अ.स) की इस फजीलत को बताता सभी को खुश हो के चला.
यह अल्लाह का मिजाज़ है की वो अगर रिज्क़ देता है तो कहता है पहले कोशिश करो. वैसे ही जब दुआओं को कुबूल करता है, या कोई नेमत देनी होती है तो उनके ज़रिये से देता है जो उसके करीब हैं. अल्लाह के करीब वही हुआ करता है जो अपना हर काम अल्लाह की ख़ुशी के लिए अंजाम देता हो. ऐसा कर के अल्लाह दुनिया वालों को बता देता है की जो हक पे रहेगा ,जो मेरी ख़ुशी के लिए जीएगा, जो इंसानियत और रहदिली से काम करेगा उसको मैं इस दुनिया मैं ऐसी ताकतें दूंगा जिनपे सिर्फ मेरा ही हक है.
इमाम हुसैन (अ.स) के बारे मैं जितना ज़िक्र मुसलमानों ने किया है उतना ही ज़िक्र गैर मुसलमानों ने भी किया है.
आज इस दुनिया ज़ुल्म से भर गयी है और आज फिर ज़रुरत है एक हुसैन (अ.स) की. मैं इमाम हुसैन (अ.स) की विलादत की मुबारक बाद अपने जिंदा इमाम महदी (अ.स) को देता हूँ और यह दुआ करता हूँ अल्लाह से हुसैन (अ.स) के वारिस, हजरत मुहम्मद (स.अ.व) के वारिस इमाम महदी (अ.स) का ज़हूर जल्द से जल्द हो क्यों की वही इस ज़माने से ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठा सकते हैं और सभी मुसलमानों को भी मुबारक बाद देता हूं इस उम्मीद के साथ की वो इमाम हुसैन के ७२ साथियों जैसा किरदार रखते हुई ज़हूर इ इमाम इ ज़मान (अ.स) का इंतज़ार करेंगे.
हज़रत इमाम हुसैन (अ.स) की पैदाईश की सालगिरह बहुत-बहुत मुबारक हो!
ReplyDeleteबहुत-बहुत मुबारक हो!
ReplyDeletehazrat imam husain ke janm divas ki hardik shubhkamnaye .
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