हिलती है ज़मीन , रोता है फलक : सौज : ज्योति बावरी

इमाम  ए  हुसैन  (ए .स .) की  ज़ात  ए  गेरामी  फिरका  ओ  मज़हब  के  इम्तियाज़  से  बरी  है . वाक़ेय  कर्बला  के  बाद  से  यह  शहीद  ए  इंसान...

jyotiइमाम  ए  हुसैन  (ए .स .) की  ज़ात  ए  गेरामी  फिरका  ओ  मज़हब  के  इम्तियाज़  से  बरी  है .
वाक़ेय  कर्बला  के  बाद  से  यह  शहीद  ए  इंसानियत  तमाम  आलम  से  खिराज  ए  अकीदत  हासिल  कर  रहा  है .
अहले  हुनूद  की  इमाम  हुसैन  (ए .स .) से  अकीदत  कोई  नई  बात  नहीं  है .

सदीओ  से  वोह  हुसैन  का  ग़म  मनाते  आ  रहे  हैं . उनके  जज़्बात  की  क्या  खूब तर्जुमानी  जनाब  दिबाकर  राही * साहब  ने  की  है :
तुम  मिटे , लेकिन  तुम्हें  मिटने  ना  देंगे  एय  हुसैन
वोह  तुम्हारा  काम  था , और  यह  हमारा  काम  है .
पिछले  बरस  सोअज्ख्वानी  की  यिक  विडियो  "हिन्दू  खातून " के  उन्वान  से  लखनऊ  की  मोहतरमा  सुनीता  झिंगरन  को  लोगों  ने  काफी पसंद  किया .
आज  मैं  कोल्कता  की  मोहतरमा  जयति  बावरी  साहेबा  की  ३  audios पेश  कर  रहा  हूँ . आप  NGOs के  लिए  काम  करती  हैं ,या  यूं  कहिये  के  ख़ल्क़  ए  खुदा  की  खिदमत  करती  हैं .

जिस  ख़ूबसूरती  से  उन्हों  ने  पढ़ा  है , उस  से  कर्बला  वालों  से  उनकी  अकीदत  का  अंदाज़ा  लगाया  जा  सकता  है .
हिलती  है  ज़मीं , रोता   है  फलक , अंधियारी  छाने  वाली  है
क्या  क़त्ल  हुएय , उट्ठो  अकबर , मान  कायद  से  जाने  वाली  है
खेमे  से  सदा  दी  बानो  ने , असग़र  को  छुपा  लीजे  मौला
पानी  के  एइवज़    फ़ौज  ए  अदा , अब  तीर  चलाने   वाली  है 
घोअरे  से  गिरे   जब  शाह  ए  हुदा , ये  खेमे  के  दर   से  आई  सदा
घर  लूट  के  नाना  की  उम्मत , अब  आग  लगाने  वाली  है 
वोह  तेरा  हुमकना  झूले  में , वोह  बाल  झंडूले , लाल  तेरे
मादर  के  लिए  हर  बात  तेरी , असग़र  तरपाने  वाली  है 
बच्चों  के  लिए  अब्बास  ए  जरी , अब  पानी  लाने  आएय  हैं
बे ’ताबी  से  मश्कीज़ेय  में , हर  मौज  समाने  वाली  है

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