google.com, pub-0489533441443871, DIRECT, f08c47fec0942fa0 वह नमाज़े जिनको तरतीब से पढ़ना ज़रूरी है | हक और बातिल

वह नमाज़े जिनको तरतीब से पढ़ना ज़रूरी है

वह नमाज़े जिनको तरतीब से पढ़ना ज़रूरी है (763) ज़रूरी है कि इंसान नमाज़े अस्र, नमाज़े ज़ोहर के बाद और नमाज़े इशा मग़रिब के बाद पढ़...


वह नमाज़े जिनको तरतीब से पढ़ना ज़रूरी है

(763) ज़रूरी है कि इंसान नमाज़े अस्र, नमाज़े ज़ोहर के बाद और नमाज़े इशा मग़रिब के बाद पढ़े और अगर जान बूझकर नमाज़े अस्र नमाज़े ज़ोहर से पहले और नमाज़े इशा नमाज़े मग़रिब से पहले पढ़े तो उसकी नमाज़ बातिल है।
(764) अगर कोई इंसान नमाज़े ज़ोहर की नियत से नमाज़ पढ़नी शुरू करे और नमाज़ के दौरान उसे याद आये कि नमाज़े ज़ोहर पढ़ चुका है तो वह नियत को नमाज़े अस्र की जानिब मोड़ सकता है। बल्कि ज़रूरी है कि नमाज़ तोड़कर नमाज़े अस्र पढ़े और मग़रिब और इशा की नमाज़ में भी यही सूरत है।
(765) अगर नमाज़े अस्र के दौरान किसी इंसान को यक़ीन हो कि उसने नमाज़े ज़ोहर नही पढ़ी है और वह नियत को नमाज़े ज़ोहर की तरफ़ मोड़ दे और अगर उसे याद आये कि वह नमाज़े ज़ोहर पढ़ चुका है तो फ़ौरन नियत को नमाज़े अस्र की तरफ़ मोड़ दे और नमाज़ को तमाम करे। लेकिन अगर उसने नमाज़ के कुछ अजज़ा को ज़ोहर की नियत से अंजाम न दिया हो या अगर अंजाम दिया हो तो इस सूरत में उन अजज़ा को अस्र की नियत से दोबारा अंजाम दे। लेकिन अगर वह जुज़ एक रकत हो तो फ़िर हर सूरत में उसकी नमाज़ बातिल है। इसी तरह अगर वह जुज़ एक रकत का रूकू या दो सजदे हों तो एहतियाते लाज़िम की बिना पर नमाज़ बातिल है।
(766) अगर किसी इंसान को नमाज़े अस्र के दौरान शक हो कि उसने नमाज़े ज़ोहर पढ़ी है या नहीं तो ज़रूरी है कि अस्र की नियत से नमाज़ तमाम करे और बाद में ज़ोहर की नमाज़ पढ़े। लेकिन अगर वक़्त इतना कम हो कि नमाज़ पढ़ने के बाद सूरज डूब जाता हो और एक रकत नमाज़ के लिए भी वक़्त बाक़ी न हो तो ज़ोहर की नमाज़ की क़ज़ा लाज़िम नहीं है।
(767) अगर किसी इंसान को नमाज़े इशा के दौरान शक हो जाये कि उसने मग़रिब की नमाज़ पढ़ी है या नहीं तो ज़रूरी है कि इशा की नियत से नमाज़ ख़त्म करे और बाद में मग़रिब की नमाज़ पढ़े। लेकिन अगर वक़्त इतना कम हो कि नमाज़ ख़त्म होने के बाद आधी रात हो जाती हो और एक रकत नमाज़ का वक़्त भी न बचता हो तो नमाज़े मग़रिब की क़ज़ा उस पर लाज़िम नहीं है।
(768) अगर कोई इंसान नमाज़े इशा की चौथी रकत में रूकू में पहुँचने के बाद शक करे कि उसने नमाज़े मग़रिब पढ़ी है या नहीं तो ज़रूरी है कि नमाज़ मुकम्मल करे। और अगर बाद में मग़रिब की नमाज़ के लिए वक़्त बाक़ी हो तो मग़रिब की नमाज़ भी पढ़े।
(769) अगर कोई इंसान ऐसी नमाज़ को जो उसने पढ़ली हो एहतियातन दोबारा पढ़े और नमाज़ के दौरान उसे याद आये कि उस नमाज़ से पहले वाली नमाज़ नहीं पढ़ी है तो वह नियत को उस नमाज़ की तरफ़ नहीं मोड़ सकता। मसलन जब वह नमाज़े अस्र एहतियातन पढ़ रहा हो अगर उसे याद आये कि उसने नमाज़े ज़ोहर नहीं पढ़ी तो वह नियत को नमाज़े ज़ोहर की तरफ़ नहीं मोड़ सकता।
(770) क़ज़ा की नमाज़ नियत अदा नमाज़ की तरफ़ और मुस्तहब नमाज़ की नियत बाजिब नमाज़ की तरफ़ मोड़ना जाइज़ नहीं है।
(771) अगर अदा नमाज़ का वक़्त काफ़ी हो तो इंसान नमाज़ के दौरान यह याद आने पर कि उसके ज़िम्मे कोई क़ज़ा नमाज़ है, नियत को क़ज़ा नमाज़ की तरफ़ मोड़ सकता है इस शर्त के साथ कि क़ज़ा नमाज़ की तरफ़ नियत मोड़ना मुमकिन हो। मसलन अगर वह ज़ोहर की नमाज़ में मशग़ूल हो तो नियत को क़ज़ा-ए- सुबह की तरफ़ इसी सूरत में मोड़ सकता है कि तीसरी रकत के रूकू में दाख़िल न हुआ हो।







Related

worship 7459855336830710404

Post a Comment

emo-but-icon

Follow Us

INNER POST ADS

Hot in week

Recent

Comments

Admin

Featured Post

नजफ़ ऐ हिन्द जोगीपुरा का मुआज्ज़ा , जियारत और क्या मिलता है वहाँ जानिए |

हर सच्चे मुसलमान की ख्वाहिश हुआ करती है की उसे अल्लाह के नेक बन्दों की जियारत करने का मौक़ा  मिले और इसी को अल्लाह से  मुहब्बत कहा जाता है ...

Discover Jaunpur , Jaunpur Photo Album

Jaunpur Hindi Web , Jaunpur Azadari

 

Majalis Collection of Zakir e Ahlebayt Syed Mohammad Masoom

A small step to promote Jaunpur Azadari e Hussain (as) Worldwide.

भारत में शिया मुस्लिम का इतिहास -एस एम्.मासूम |

हजरत मुहम्मद (स.अ.व) की वफात (६३२ ) के बाद मुसलमानों में खिलाफत या इमामत या लीडर कौन इस बात पे मतभेद हुआ और कुछ मुसलमानों ने तुरंत हजरत अबुबक्र (632-634 AD) को खलीफा बना के एलान कर दिया | इधर हजरत अली (अ.स०) जो हजरत मुहम्मद (स.व) को दफन करने

जौनपुर का इतिहास जानना ही तो हमारा जौनपुर डॉट कॉम पे अवश्य जाएँ | भानुचन्द्र गोस्वामी डी एम् जौनपुर

आज 23 अक्टुबर दिन रविवार को दिन में 11 बजे शिराज ए हिन्द डॉट कॉम द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर स्थित पत्रकार भवन में "आज के परिवेश में सोशल मीडिया" विषय पर एक गोष्ठी आयोजित किया गया जिसका मुख्या वक्ता मुझे बनाया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी

item